
नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस से तेल आयात करने वाले देशों पर अमेरिका द्वारा प्रस्तावित 500% टैरिफ (शुल्क) को लेकर भारत की स्थिति स्पष्ट की है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा कोई कदम भारत के हितों को प्रभावित करता है, तो देश “जब पुल आएगा, तब उसे पार करेगा” (We’ll cross that bridge when we come to it)।
जयशंकर, जो इस समय अमेरिका की चार दिवसीय यात्रा पर हैं, ने वाशिंगटन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बात कही। उन्होंने बताया कि भारतीय दूतावास और राजदूत अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम के संपर्क में हैं, जिन्होंने यह विधेयक पेश किया है। ग्राहम के इस विधेयक का उद्देश्य उन देशों पर दबाव डालना है जो यूक्रेन युद्ध के बावजूद रूस के साथ व्यापार जारी रखे हुए हैं।
चिंताओं से अवगत कराया गया
विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत ने ऊर्जा सुरक्षा से जुड़ी अपनी चिंताओं और हितों को सीनेटर ग्राहम के समक्ष रख दिया है। उन्होंने कहा, “अमेरिकी कांग्रेस में होने वाले किसी भी घटनाक्रम में, जो हमारे हितों को प्रभावित करता है या कर सकता है, उसमें हमारी रुचि होती है।”
भारत पर अमेरिकी टैरिफ का खतरा: जयशंकर ने दिया कड़ा जवाब!
यह विधेयक ऐसे समय में आया है जब भारत ने रूस से तेल का आयात काफी बढ़ा दिया है, क्योंकि यह रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद काफी सस्ता मिल रहा है। मई में भारत का रूसी तेल का आयात बढ़कर 1.96 मिलियन बैरल प्रतिदिन हो गया था, जो भारत की कुल ऊर्जा आवश्यकताओं का 40-45% है।
संभावित प्रभाव और व्यापारिक संबंध
अगर यह अमेरिकी विधेयक पारित हो जाता है, तो भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर 500% का भारी शुल्क लग सकता है, जिससे भारतीय व्यापार पर गहरा असर पड़ने की आशंका है।हालाँकि, भारत इस समय अमेरिका के साथ एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की दिशा में भी काम कर रहा है, जिससे इस संभावित टैरिफ के प्रभाव को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
विदेश मंत्री जयशंकर की इस टिप्पणी को भारत की संतुलित विदेश नीति के रूप में देखा जा रहा है, जो अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है।