ITR Filing 2025: सैलरी वाले लें आज़ादी से चुनाव, बिज़नेस वालों को इन नियमों का करना होगा पालन!

ITR फाइलिंग 2025: सैलरी वाले लें आज़ादी से चुनाव, बिज़नेस वालों को इन नियमों का करना होगा पालन!
ITR फाइलिंग 2025: सैलरी वाले लें आज़ादी से चुनाव, बिज़नेस वालों को इन नियमों का करना होगा पालन!

यह 2025 असेसमेंट ईयर (जो वितीय वर्ष 2024-25 से जुड़ा है) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने वाले सभी करदाताओं के लिए एक बहुत बड़ा सवाल है कि उन्हें पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime) में रहना है या नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime) चुननी है। आपके लिए यह चुनाव कितना फायदेमंद होगा, यह आपकी आय, आपके खर्चों और आपके निवेशों पर निर्भर करता है। आइए समझते हैं कि वेतनभोगी (Salaried) करदाताओं और व्यापार/पेशे से जुड़े लोगों के लिए इस बार के नियम क्या हैं:

1. वेतनभोगी करदाताओं के लिए: आपका चुनाव, आपका फायदा!

  • आज़ादी है आपके पास: अगर आप नौकरी करते हैं, तो हर साल की तरह इस बार भी आपके पास यह चुनने की आज़ादी है कि आप कौन सी टैक्स व्यवस्था में रहना चाहते हैं।

  • कैसे करें फैसला? यह काफी हद तक आपके द्वारा लिए जाने वाले डिडक्शन्स (Deductions) और छूटों (Exemptions) पर निर्भर करता है।

    • पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime): इसमें आपको कई तरह की छूटें मिलती हैं, जैसे HRA (हाउस रेंट अलाउंस), LTA (लीव ट्रैवल अलाउंस), सेक्शन 80C (LIC, PPF, ELSS में निवेश), 80D (मेडिकल इंश्योरेंस), होम लोन के ब्याज पर छूट, आदि। यदि आप इन सभी छूटों का फायदा उठाकर अपनी कर योग्य आय (Taxable Income) को नई व्यवस्था की तुलना में ज़्यादा कम कर सकते हैं, तो यह आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है।

    • नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime): इसमें टैक्स की दरें थोड़ी कम हैं, लेकिन ज़्यादातर डिडक्शन और छूटें (जैसे HRA, LTA, 80C, 80D) मान्य नहीं हैं। कुछ डिडक्शन्स (जैसे स्टैंडर्ड डिडक्शन) इसमें भी मिलते हैं। अगर आप ज़्यादा डिडक्शन का फायदा नहीं लेते हैं या आपके खर्चे डिडक्शन क्लेम करने की सीमा से कम हैं, तो यह व्यवस्था आपके लिए सरल और फायदेमंद साबित हो सकती है।

  • कब और कैसे चुनें? आप वित्तीय वर्ष की शुरुआत में अपनी कंपनी को यह बता सकते हैं कि आप किस व्यवस्था में रहना चाहते हैं, ताकि उसी के अनुसार TDS (स्रोत पर कर कटौती) काटी जा सके। लेकिन, ITR फाइल करते समय आप अपना अंतिम चुनाव कर सकते हैं। यह तय करने के लिए आपको अपनी कुल आय और संभावित डिडक्शन्स की गणना करके दोनों व्यवस्थाओं में लगने वाले टैक्स की तुलना करनी चाहिए।

2. व्यापारी/पेशे से जुड़े लोगों के लिए: नियमों को समझकर ही चुनें!

  • डिफ़ॉल्ट रूप से नई व्यवस्था: अगर आपकी आय व्यापार या पेशे से होती है, तो आपके लिए नई टैक्स व्यवस्था को डिफ़ॉल्ट (Default) माना गया है। यानी, जब तक आप खुद पुरानी व्यवस्था का चयन नहीं करते, आप स्वतः ही नई व्यवस्था में माने जाएंगे।

  • पुरानी व्यवस्था चुन सकते हैं, लेकिन… (यहां एक पेचीदा नियम है!):

    • आप चाहें तो व्यापार/पेशे से होने वाली आय के लिए पुरानी कर व्यवस्था का चयन कर सकते हैं

    • सबसे ज़रूरी बात: यदि आप वित्त वर्ष 2024-25 (AY 2025-26) के लिए पुरानी कर व्यवस्था का चयन करते हैं, तो आप अगले साल (AY 2026-27) के लिए नई कर व्यवस्था में आसानी से वापस नहीं लौट पाएंगे। यानी, यह चुनाव थोड़ा सोच-समझकर और लंबे समय के असर को ध्यान में रखकर करना होगा। यदि आप नई व्यवस्था में रहना पसंद करते हैं या भविष्य में कभी भी पुरानी व्यवस्था से नई व्यवस्था में जाने का विकल्प खुला रखना चाहते हैं, तो नई व्यवस्था को डिफ़ॉल्ट रहने देना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

  • सलाह: आपकी आय, व्यापार के खर्चों और कुल कर देनदारी के आधार पर कौन सी व्यवस्था बेहतर रहेगी, इसका सही आकलन करना महत्वपूर्ण है। ऐसे में, किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) से सलाह लेना व्यापारियों और पेशेवरों के लिए बहुत ज़रूरी है, क्योंकि उनके द्वारा लिए गए सही निर्णय से भारी टैक्स बचाया जा सकता है।

आपके लिए सबसे अच्छा क्या है?

सही टैक्स व्यवस्था का चुनाव व्यक्तिगत वित्तीय स्थिति पर निर्भर करता है। आप दोनों व्यवस्थाओं में अपनी अनुमानित टैक्स देनदारी की गणना करें, उपलब्ध डिडक्शन्स और छूटों का हिसाब लगाएं और फिर वह व्यवस्था चुनें जो आपके लिए सबसे ज़्यादा फायदेमंद हो।