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उत्तर प्रदेश

पं. बिरजू महाराज की कथक परम्परा को बनाए रखना हमारा दायित्व : दीपक महाराज

neha maurya
Published July 1, 2022
Last updated: 2022/07/01 at 5:58 PM
3 Min Read
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लखनऊ, 01 जुलाई ( हिं.स़.)। कथकाचार्य पं. बिरजू महाराज की परम्परा को आगे बढ़ाना हमारा दायित्व है । महाराज की परम्परा के साथ ही अपने पूर्वजों की ड्योढी की भी पवित्रता भी बनाए रखनी है। उन लोगों ने लखनऊ घराने की जो परम्परा कथक में जोड़ी है, उसे आगे ले जाना है। यह कहना है कथक सम्राट पं. बिरजू महाराज के पुत्र कथक गुरु पं. दीपक महाराज का। वह इन दिनों लखनऊ में हैं और संगीत नाटक अकादमी की वाल्मीकि रंगशाला में चल रही कथक कार्यशाला में प्रशिक्षुओं को नृत्य की बारीकियां सिखा रहे हैं । कार्यशाला का आयोजन नारायण जनसेवा संस्थान की ओर किया जा रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार से खास बातचीत में कथक गुरु दीपक महाराज ने बताया कि कथकाचार्य पं. बिरजू महाराज की कथक परम्परा को आगे बढाने के लिए जरूरी है कि मेरा लखनऊ आना-जाना बना रहे। इस शहर से मेरा गहरा नाता है। मेरे पिता और गुरु पं. बिरजू महाराज की जन्म भूमि और कर्मभूमि भी यह शहर है। साथ ही मेरे पूर्वज पं. बिन्दादीन महाराज, कथकाचार्य पं. लच्छू महाराज, अच्छन महाराज ने इस घराने की जो परम्परा निभाई है, हम भी उसी परम्परा को जीवित रखना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि इस कार्य में महाराज जी के शिष्य और शिष्याओं को भी आगे आना होगा। वे हमें यहां किसी कार्यक्रम में या कार्यशाला में बुलाएं। चाहे वह भातखण्डे संगीत विश्वविद्यालय होेेे या और कोई माध्यम हो। दीपक महाराज ने कहा कि गुरु महाराज की पारम्परिक कथक की शुद्धता को बनाए रखेेंगे। हमें इसमें कोई नया प्रयोग नहीं रखना है। पं. बिन्दादीन महाराज की ड्योढ़ी पर भी चाहते हैं कि वहां पर भी कोई कथक का प्रशिक्षण कार्यक्रम हो।

उन्होंने बताया कि विदेशों में महाराज जी के शिष्य और शिष्याएं हैं। वहां पर भी चाहेंगे कि महाराज की परम्परा बनी रहे। हालांकि वह कहते हैं कि अब स्थितियां बदल गई हैं। वहां से बुलावा आएगा तो हम जाएंगे। अभी हॉल में स्पेन और पेरिस होकर आए हैं। यूरोपीय देशों और अमेरिका में जाना है।

neha maurya July 1, 2022
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