अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विवादास्पद गाजा प्लान पर अंतरराष्ट्रीय राजनीति गर्म हो गई

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विवादास्पद गाजा प्लान ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में तूफान मचा दिया है। इस पर अब अरब देशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी राय दी है, जिनका कहना है कि ट्रंप गाजा पर कब्जा कर फिलिस्तीनियों को अन्य स्थानों पर बसाने का ख्वाब देख रहे हैं। उनका मानना है कि इससे क्षेत्र में युद्धविराम की स्थिति खतरे में पड़ जाएगी और क्षेत्रीय स्थिरता गंभीर रूप से प्रभावित होगी, जिससे मिडिल-ईस्ट में अराजकता फैल सकती है।

दुबई में आयोजित शिखर सम्मेलन में अरब लीग के महासचिव अहमद अबुल घीत ने चेतावनी दी कि यदि ट्रंप गाजा को रियल एस्टेट बनाने की योजना पर आगे बढ़े, तो मिडिल-ईस्ट को संकट के एक नए दौर में धकेल दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह फिलिस्तीनियों को गाजा से बाहर निकालने की कोशिश करना गलत होगा, और यह उन्हें धोखा देने जैसा होगा।

ट्रंप ने गाजा को लेकर अपनी योजना की घोषणा करते हुए पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था। इस योजना का इजरायल ने स्वागत किया था, जबकि अरब देशों ने इसे खारिज कर दिया। ट्रंप ने कहा था कि वह गाजा पट्टी को अमेरिकी अधिकार क्षेत्र में लाएंगे और वहां रहने वाले फिलिस्तीनी लोगों को दूसरे देशों में बसाएंगे। जब गाजा खाली हो जाएगा, तो इसे ‘मिडिल-ईस्ट के रिवेरा’ के रूप में विकसित किया जाएगा।

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ इस योजना की घोषणा करते हुए ट्रंप ने कहा था कि यदि शांति स्थापित होती है, तो गाजावासियों को वापस आने की अनुमति दी जाएगी। लेकिन हाल ही में एक इंटरव्यू में ट्रंप ने स्पष्ट किया कि गाजावासियों को वापस गाजा आने का कोई अधिकार नहीं होगा। उनका कहना था कि हम उनके लिए एक शांतिपूर्ण स्थान तैयार करेंगे और फिलिस्तीनी लोगों को पूरी सुविधाएं प्रदान करेंगे।

इजरायल ने ट्रंप की योजना को सही ठहराते हुए कहा कि यह दशकों पुरानी समस्या का हल पेश करती है। उनके अनुसार, इस योजना से गाजावासियों को शांतिपूर्ण जीवन जीने का मौका मिलेगा और आतंकवादी संगठन जैसे हमास का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। हालांकि, हमास और कई अन्य देशों ने इसका विरोध किया। हमास ने कहा कि वे अपनी जमीन के लिए दशकों से संघर्ष कर रहे हैं और फिलिस्तीनी इस योजना को कभी स्वीकार नहीं करेंगे। जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज़ ने भी ट्रंप की इस योजना की आलोचना की और इसे फिलिस्तीनी लोगों के साथ धोखा करार दिया।