Indian Soldiers : जब चट्टानें हार गईं और फौजी जीत गए जानिए उस मिशन की कहानी जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया
News India Live, Digital Desk : तापमान शून्य से इतना नीचे कि पलकें भी झपकने में दर्द करें। हवा में ऑक्सीजन इतनी कम कि हर एक कदम पर साँस उखड़ जाए। और आपके सामने खड़ा है 7,042 मीटर ऊंचा एक ऐसा राक्षस, जिसे आज तक कोई हरा नहीं पाया था। इसे लोग "बर्फीला नर्क" कहते थे, लेकिन भारतीय सेना के लिए यह सिर्फ एक और चुनौती थी, जिसे पार करना उनका जूनून है।
दोस्तों, हम अपने घरों में रजाई में दुबक कर बैठते हैं जब पारा थोड़ा गिरता है, लेकिन हमारे देश के 18 शूरवीरों ने जो कारनामा कर दिखाया है, उसे सुनकर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा। भारतीय सेना के जांबाजों ने अरुणाचल प्रदेश की सबसे ऊंची और सबसे खतरनाक मानी जाने वाली चोटी माउंट कांगतो (Mount Kangto) को फतह कर लिया है।
आखिर क्यों 'नामुमकिन' थी ये चढ़ाई?
माउंट कांगतो कोई साधारण पहाड़ नहीं है। यह अरुणाचल प्रदेश की सबसे ऊँची चोटी है। यहाँ के रास्ते इतने दुर्गम और अनजान हैं कि इसे 'अजेय' (Unconquerable) माना जाता था। यहाँ बर्फीले तूफान कब आ जाएं और कब पैरों के नीचे की ज़मीन खिसक जाए, किसी को नहीं पता। यहाँ न कोई नक्शा काम आता है, न कोई पुराना रास्ता। बस हिम्मत ही है जो आपको ऊपर ले जा सकती है।
सोचिए, 7000 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई! जहाँ खड़े होकर नीचे देखो तो बस मौत नजर आए। ऐसी जगहों पर नेचर (Nature) इंसान की हर पल परीक्षा लेती है। लेकिन जब सामने Indian Army हो, तो कुदरत भी शायद सलाम करती है।
18 जांबाज और जीत का जज्बा
यह कहानी उन 18 सैनिकों की है जिन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने माइनस डिग्री तापमान, हड्डियाँ गला देने वाली हवा और जानलेवा खाइयों (crevasses) का सामना किया। यह चढ़ाई सिर्फ़ शारीरिक ताक़त की नहीं थी, बल्कि यह मानसिक दृढ़ता (Mental Strength) की परीक्षा थी।
खबरों के मुताबिक़, टीम ने जब चढ़ाई शुरू की तो कई बार ऐसे मौके आए जब आगे बढ़ना नामुमकिन लगा होगा। लेकिन फ़ौज की डिक्शनरी में "वापस लौटना" शब्द नहीं होता। कदम दर कदम, वो बर्फ को काटते हुए आगे बढ़ते गए। और अंत में, वो पल आया जब इन वीरों के बूट्स (Boots) माउंट कांगतो के शिखर पर पड़े और वहां शान से भारत का तिरंगा लहराया।
सिर्फ एक जीत नहीं, एक संदेश है
भारतीय सेना का माउंट कांगतो पर पहुंचना सिर्फ एक पहाड़ चढ़ने की बात नहीं है। यह रणनीतिक (Strategic) तौर पर भी बहुत अहम है क्योंकि यह इलाका सीमा (Border) के बेहद करीब है। यह दुनिया को और पड़ोसियों को एक साफ संदेश है किचाहे रेगिस्तान हो, समंदर हो या फिर 'जमा हुआ नर्क', भारतीय सेना की पहुँच से कोई भी जगह दूर नहीं है।
आज पूरा देश इन 18 असली हीरो को सलाम कर रहा है। इनकी बदौलत ही हम जानते हैं कि जब हौसले बुलंद हों, तो कोई भी ऊंचाई बड़ी नहीं होती।
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