वाराणसी, 10 मार्च (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को जनपद आजमगढ़ से पूरे देश को 34676.29 करोड़ की 782 परियोजनाओं की सौगात दी। इसमें रेलवे की 8176 करोड़ रुपये की 11 परियोजनाएं भी शामिल हैं। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने जिन परियोजनाओं को लोकार्पित किया। उनमें फरिहा-आजमगढ़-सठियांव रेल खण्ड का विद्युतीकृत लाइन के साथ दोहरीकरण, इन्दारा-फेफना रेल खण्ड का विद्युतीकृत लाइन के साथ दोहरीकरण, बनारस-झूंसी रेल खण्ड का विद्युतिकृत लाइन के साथ दोहरीकरण, बलिया-बकुल्हां रेल खण्ड का विद्युतीकृत लाइन के साथ दोहरीकरण शामिल है। प्रधानमंत्री ने भटनी-पिवकोल बाइपास लाइन भी राष्ट्र को समर्पित किया, जिससे भटनी में इंजन को पलटकर डिब्बों में उसे दूसरी तरफ से जोड़ने की समस्या खत्म हो जाएगी तथा ट्रेनों का निर्बाध संचालन भी हो सकेगा। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने बहराइच-नानपारा-नेपालगंज रोड नामक रेल खंड के आमान परिवर्तन का शिलान्यास कर गंगा नदी पर नवनिर्मित रेल सह सड़क पुल सहित गाजीपुर सिटी और गाजीपुर घाट से ताड़ीघाट तक नई बड़ी रेल लाइन का भी उद्घाटन किया। गाजीपुर सिटी से विशेष गाड़ी सं-05481 को प्रधानमंत्री ने आजमगढ़ से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से हरी झण्डी दिखाकर रवाना भी किया।
रेलवे के अफसरों के अनुसार इन परियोजनाओं से उत्तर प्रदेश में भारतीय रेल की आधारभूत संरचना मजबूत होगी। गंगा नदी पर रेल पुल सहित गाजीपुर सिटी एवं गाजीपुर घाट से ताड़ीघाट नई बड़ी लाइन का उद्घाटन होने के बाद गाजीपुर सिटी स्टेशन से दिलदार नगर जंक्शन स्टेशन की दूरी वाया वाराणसी 146 किमी. है, जो इस नई रेल लाइन के बन जाने से घटकर 29 किमी हो गई है। इसी प्रकार, गाजीपुर सिटी स्टेशन से पटना की दूरी भी 24 किमी कम हो गई है। इस रेलवे लाइन के बनने से भौतिक दूरी कम होने के साथ-साथ ट्रेनों के संचलन समय में भी उल्लेखनीय बचत होगी तथा छपरा एवं औड़िहार से आने वाली ट्रेनों को डेडीकेटेड फ्रेट कोरिडोर पर जाने के लिये कनेक्टिविटी मिलेगी। अफसरों के अनुसार ट्रेनों के सुगम एवं निर्बाध संचलन को ध्यान में रखते हुये, यहां वाई कनेक्शन बनाया गया है, जिससे इंजन रिवर्सल की आवश्यकता नहीं होगी। छपरा से आने वाली ट्रेनें गाजीपुर घाट से सीधे ताड़ीघाट चली जायेंगी। इसी प्रकार वाराणसी एवं जौनपुर से आने वाली ट्रेनें गाजीपुर सिटी से सीधे ताड़ीघाट जा सकेंगी। इसके साथ गोरखपुर, वाराणसी सहित उत्तर भारत के नगरों से पटना, कोलकाता सहित पूर्वी भारत के नगरों में जाने के लिए एक वैकल्पिक रेल मार्ग उपलब्ध हो गया है। गाजीपुर-तारीघाट के मध्य रेल लिंक स्थापित होने से क्षेत्र के आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास को गति मिलेगी।
-बनारस-झूसी खंड का दोहरीकरण एवं विद्युतीकरण का लोकार्पण
बनारस-झूसी खंड के दोहरीकरण एवं विद्युतीकरण से प्रयागराज-नैनी-पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन रेल मार्ग पर दबाव कम हुआ है। देश की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन इसी रेल मार्ग से चलाई जाती है। इस परियोजना को 07 चरणों में पूर्ण किया गया। पहले चरण में बनारस हरदत्तपुर, दूसरे चरण में हरदत्तपुर-कछवा रोड, तीसरे चरण में कछवा रोड-माधो सिंह, चौथे चरण में माधो सिंह-ज्ञानपुर रोड, पांचवें चरण में ज्ञानपुर रोड-हंडियाखास, छठें चरण में इंडियाखास-रामनाथपुर एवं सातवें चरण में रामनाथपुर-झूसी खंड का दोहरीकरण का कार्य पूरा किया गया। इस खंड पर बनारस, भूलनपुर, हरदत्तपुर, राजातालाब, बहेरवा, निगतपुर, कछवा रोड, कटका, माधो सिंह, अहिमनपुर, अलमऊ, ज्ञानपुर रोड, सराय जगदीश, जंगीगंज, अतरौरा, भीटी, हंडिया खास, सैदाबाद, रामनाथपुर एवं झूसी स्टेशन हैं। भटनी-पिवकोल बाईपास लाइन के लोकार्पण के बाद भटनी जंक्शन पर वाराणसी की ओर से आने वाली ट्रेनों को छपरा एवं सीवान जाने तथा छपरा की ओर से आने वाली ट्रेनों को वाराणसी जाने के लिये इंजन रिवर्सल की समस्या समाप्त हो गई है। बाईपास के माध्यम से बिना इंजन की दिशा बदले ट्रेनों का सुगम परिचालन हो रहा है। इस बाईपास लाइन के निर्माण के कारण लाइन क्षमता में वृद्धि हुई है तथा अधिक ट्रेनों का संचलन सम्भव हो सका है।