भारतीय सेना का ऐतिहासिक फैसला: सैन्य उपकरणों में चीनी पार्ट्स पर पूर्ण प्रतिबंध!

भारतीय सेना का ऐतिहासिक फैसला: सैन्य उपकरणों में चीनी पार्ट्स पर पूर्ण प्रतिबंध!
भारतीय सेना का ऐतिहासिक फैसला: सैन्य उपकरणों में चीनी पार्ट्स पर पूर्ण प्रतिबंध!

भारतीय सेना ने सैन्य उपकरणों और प्रणालियों में चीन निर्मित घटकों के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का एक बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यह कदम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान के साथ संघर्ष के बाद की गई गहन समीक्षा का हिस्सा है।

यह निर्णय क्यों लिया गया?

आर्मी डिज़ाइन ब्यूरो के एडीजी मेजर जनरल सीएस मान ने शुक्रवार (4 जुलाई) को घोषणा की कि अब किसी भी सैन्य घटक में चीनी पार्ट्स का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। उन्होंने कमज़ोरियों को दूर करने के लिए सख्त जाँच और प्रोटोकॉल की बात कही, खास तौर पर ड्रोन सिस्टम में।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारतीय सेना द्वारा घरेलू निजी कंपनियों से खरीदे गए ड्रोन में चीनी पार्ट्स के इस्तेमाल को लेकर खुफिया एजेंसियों ने चिंता जताई थी। इन्हीं चिंताओं के मद्देनजर मेजर जनरल सीएस मान ने यह अहम घोषणा की है।

लेफ्टिनेंट जनरल राहुल सिंह के खुलासे

मेजर जनरल मान का यह बयान लेफ्टिनेंट जनरल राहुल सिंह के उस आरोप के बाद आया है जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि चीन ने पाकिस्तान का समर्थन करने में भूमिका निभाई है। लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा कि चीन ने भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि मई में भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच चार दिनों तक चले संघर्ष के दौरान चीन अपने “सदाबहार सहयोगी” पाकिस्तान को हर संभव सहायता प्रदान कर रहा था।

वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने आगे कहा कि चीन ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष को विभिन्न हथियारों के परीक्षण के लिए प्रयोगशाला के रूप में इस्तेमाल किया है। चीन की प्राचीन सैन्य रणनीति ’36 चालों’ और ‘उधार के चाकू’ (उधार के चाकू से दुश्मन को मारना) का जिक्र करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा कि बीजिंग ने भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए पाकिस्तान को हर संभव मदद दी। ‘उधार के चाकू’ का मतलब है दुश्मन को हराने के लिए तीसरे पक्ष का इस्तेमाल करना, यानी चीन ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान का इस्तेमाल किया।

भारत के तीन दुश्मन

लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने यह भी कहा कि भारत वास्तव में तीन दुश्मनों का सामना कर रहा है: पाकिस्तान, चीन और तुर्की। उन्होंने कहा कि तुर्की इस्लामाबाद को सैन्य उपकरण आपूर्ति करने में भी प्रमुख भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सशस्त्र बलों के 81 प्रतिशत सैन्य उपकरण चीन से आते हैं, इसलिए बीजिंग का इस्लामाबाद को समर्थन आश्चर्यजनक नहीं है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा, “चीन उत्तरी सीमा पर सीधे संघर्ष में शामिल होने के बजाय भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए अपने पड़ोसी का इस्तेमाल करना पसंद करता है।” उन्होंने कहा, “पाकिस्तान भारत के खिलाफ सिर्फ एक मोर्चा था, जबकि असली समर्थन चीन से आ रहा था।”

तुर्की की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “हमने युद्ध क्षेत्र में कई ड्रोन आते-जाते देखे, साथ ही वहां मौजूद लोगों की हरकतें भी देखीं।” उप सेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय नेतृत्व का रणनीतिक संदेश स्पष्ट था और पाकिस्तान तथा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में लक्ष्यों की योजना और चयन बहुत सारे डेटा पर आधारित था।