
भारत और अमेरिका ने रणनीतिक और रक्षा संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए 10 साल के ऐतिहासिक रक्षा सहयोग समझौते पर सहमति जताई है। भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ के बीच टेलीफोन पर बातचीत के बाद इस ऐतिहासिक सौदे की घोषणा की गई।
पेंटागन की बड़ी घोषणा
इस डील की औपचारिक घोषणा पेंटागन ने की। इस समझौते के तहत दोनों देश अगले दशक तक रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाएंगे। पेंटागन के बयान के मुताबिक, “राजनाथ सिंह और पीट हेगसेथ इस साल होने वाली अगली बैठक में 10 साल के रक्षा ढांचे को अंतिम रूप देंगे।” इस डील में अमेरिकी रक्षा उपकरणों की खरीद और द्विपक्षीय रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग पर खास ध्यान दिया गया है।
भारत: अमेरिका का प्रमुख रक्षा साझेदार
पेंटागन ने भारत को दक्षिण एशिया में अपना प्राथमिक रक्षा साझेदार बताया है। बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संयुक्त बयान में फरवरी 2025 में तय किए गए रक्षा लक्ष्यों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। दोनों देशों ने रक्षा उपकरण खरीद और औद्योगिक सहयोग पर चर्चा की, जिससे भविष्य में द्विपक्षीय संबंध और मजबूत होंगे।
राजनाथ सिंह की हेगसेथ से चर्चा
मंगलवार को टेलीफोन पर बातचीत में राजनाथ सिंह ने अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ से तेजस लड़ाकू विमान के लिए जीई एफ404 इंजन की आपूर्ति में तेजी लाने का आग्रह किया। उन्होंने भारत में एफ414 जेट इंजन के संयुक्त उत्पादन के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस के बीच समझौते को जल्द अंतिम रूप देने की भी वकालत की। एफ404 इंजन की आपूर्ति में देरी के कारण भारतीय वायुसेना को तेजस मार्क 1ए विमान की डिलीवरी में देरी हुई है।
रक्षा क्षेत्र में दीर्घकालिक सहयोग
भारतीय रक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने रक्षा क्षेत्र में दीर्घकालिक सहयोग, प्रशिक्षण, सैन्य आदान-प्रदान और औद्योगिक सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा की। इस समझौते में आपसी परिचालन क्षमता, रक्षा आपूर्ति श्रृंखलाओं का एकीकरण, रसद साझा करना, संयुक्त सैन्य अभ्यास और समान विचारधारा वाले देशों के साथ सहयोग शामिल हैं। यह सौदा भारत-अमेरिका संबंधों को नया आयाम देगा।
यह सौदा महत्वपूर्ण क्यों है?
यह 10 वर्षीय रक्षा समझौता भारत और अमेरिका को वैश्विक सुरक्षा और शांति के क्षेत्र में एक मजबूत साझेदार बनाएगा, खासकर दक्षिण एशिया में भारत की भूमिका को मजबूत करेगा। इस सहयोग के जरिए दोनों देश आतंकवाद से लड़ेंगे, रक्षा तकनीक का आदान-प्रदान करेंगे और संयुक्त उत्पादन को बढ़ावा देंगे।