
उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले से एक ऐसा अजब-गजब और भावनात्मक मामला सामने आया है, जहाँ लोगों ने एक बंदर की मौत के बाद उसे पूरे रीति-रिवाज के साथ श्रद्धांजलि दी। किसी इंसान की तेरहवीं की तरह ही, यहाँ बकायदा ‘बजरंगी’ नाम के इस बंदर का अंतिम संस्कार और फिर उसके लिए विशाल भंडारा आयोजित किया गया। इस घटना ने साबित कर दिया कि इंसानों और जानवरों के बीच कितना गहरा संबंध हो सकता है।
यह मामला बलिया के पखुआपुर के कोठियां गाँव का है। गाँव के लोग, खासकर पशु प्रेमी, इस बंदर से बहुत जुड़ाव रखते थे। हाल ही में इस बंदर की बीमारी के चलते मौत हो गई थी, जिससे पूरे गाँव में शोक का माहौल छा गया। लोगों ने उसे अपने परिवार के सदस्य की तरह ही देखा।
ग्रामीणों ने फैसला किया कि वे इस ‘बजरंगी’ बंदर को न सिर्फ विधि-विधान से दफनाएंगे, बल्कि उसकी आत्मा की शांति के लिए पारंपरिक तरीके से तेरहवीं भी करेंगे। सबसे पहले, पूरे गाँव के सहयोग से बकायदा पूरे हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार उसका अंतिम संस्कार किया गया। जैसे ही तेरह दिन पूरे हुए, ‘पिंडदान’ किया गया और फिर एक विशाल ‘भंडारा’ (सामुदायिक भोजन) का आयोजन किया गया।
इस भंडारे में सिर्फ़ ग्रामीण ही नहीं, बल्कि दूर-दराज़ के लोग भी आए। खाने में पूड़ी-सब्जी और हलवा जैसा पारंपरिक भोजन परोसा गया, जैसा आमतौर पर किसी मृत व्यक्ति की तेरहवीं के बाद किया जाता है। ग्रामीणों का कहना था कि यह बंदर उनके लिए सिर्फ एक जानवर नहीं था, बल्कि वह उनके परिवार का हिस्सा था और उन्होंने उससे भावनात्मक रूप से जुड़ाव महसूस किया था। वे मानते थे कि ऐसा करने से उसकी आत्मा को शांति मिलेगी और यह उनका फर्ज है।
बलिया में यह अनोखी घटना पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। यह दर्शाता है कि ग्रामीण इलाकों में प्रकृति और जीव-जंतुओं के प्रति लोगों में कितनी करुणा और श्रद्धा है।