खेती की ज़मीन बेच रहे हैं? जानिए टैक्स के नियम, वरना हो सकता है नुकसान

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भारत में ज़्यादातर लोगों के लिए खेती की ज़मीन सिर्फ एक ज़मीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि उनकी जमापूंजी और विरासत का हिस्सा होती है। कई बार ज़रूरत पड़ने पर लोग इसे बेचते भी हैं। लेकिन अक्सर एक सवाल मन में उलझा रहता है – क्या खेती की ज़मीन बेचकर जो पैसा मिलता है, उस पर इनकम टैक्स देना पड़ता है?

आमतौर पर लोगों में यह धारणा है कि खेती-किसानी से जुड़ी किसी भी कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता, लेकिन यह बात पूरी तरह से सच नहीं है। ज़मीन बेचने पर टैक्स लगेगा या नहीं, यह कुछ बातों पर निर्भर करता है। चलिए, इनकम टैक्स के इन नियमों को बिल्कुल आसान भाषा में समझते हैं।

सबसे पहले यह जानना ज़रूरी है कि आपका टैक्स इस बात पर तय होता है कि आपकी ज़मीन किस इलाके में आती है – यानी वह ग्रामीण कृषि भूमि है या शहरी कृषि भूमि।

अगर आपकी ज़मीन गांव में है तो क्या होगा?

इनकम टैक्स के कानून के मुताबिक, अगर आपकी खेती की ज़मीन किसी ग्रामीण इलाके में है, तो उसे 'पूंजीगत संपत्ति' (Capital Asset) नहीं माना जाता। आसान शब्दों में कहें तो सरकार इसे आपकी पूंजी का हिस्सा नहीं मानती, इसलिए इसे बेचने पर होने वाले मुनाफे पर कोई कैपिटल गेन्स टैक्स (Capital Gains Tax) नहीं लगता है। यह नियम इसलिए बनाया गया है ताकि किसानों और गांव के ज़मीन मालिकों को राहत मिल सके और उन्हें अपनी ज़मीन बेचने पर कोई अतिरिक्त बोझ न उठाना पड़े।

और अगर ज़मीन शहर के पास है?

यहीं पर नियम बदल जाता है। अगर आपकी खेती की ज़मीन किसी नगर पालिका, नगर निगम या किसी शहरी इलाके के पास है, तो उसे 'पूंजीगत संपत्ति' माना जाएगा। ऐसे में जब आप इस ज़मीन को बेचते हैं, तो उससे होने वाले मुनाफे पर आपको कैपिटल गेन्स टैक्स देना पड़ता है।

यह टैक्स भी दो तरह का होता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि आपने ज़मीन कितने समय तक अपने पास रखी थी:

  1. शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (Short-Term Capital Gain): अगर आपने ज़मीन खरीदने के 24 महीने (2 साल) के अंदर ही उसे बेच दिया, तो इससे होने वाले मुनाफे को शॉर्ट-टर्म गेन माना जाएगा। इस मुनाफे को आपकी उस साल की कुल कमाई में जोड़ दिया जाएगा और आपके इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से ही इस पर टैक्स लगेगा।
  2. लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (Long-Term Capital Gain): अगर आपने ज़मीन को 24 महीने से ज़्यादा समय तक अपने पास रखने के बाद बेचा है, तो इससे हुए मुनाफे को लॉन्ग-टर्म गेन कहेंगे। इसमें आपको टैक्स में थोड़ी राहत मिलती है। सरकार महंगाई (Inflation) को ध्यान में रखते हुए आपकी खरीद की लागत को बढ़ा देती है, जिसे इंडेक्सेशन का फायदा कहते हैं। इससे आपका मुनाफा कागज़ पर कम हो जाता है और टैक्स भी कम लगता है।

नियमों में नया बदलाव

यह भी ध्यान रखना ज़रूरी है कि नियम समय-समय पर बदलते रहते हैं। उदाहरण के लिए, जुलाई 2024 के बाद शहरी खेती की ज़मीन पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स के नियमों में कुछ बदलाव किए गए हैं। अब टैक्स देने वालों को यह विकल्प दिया गया है कि वे या तो 20% टैक्स इंडेक्सेशन के फायदे के साथ दें, या फिर बिना इंडेक्सेशन के फायदे के सीधे 12.5% टैक्स चुका दें। इन दोनों में से जो भी आपके लिए फायदेमंद हो, आप उसे चुन सकते हैं।

इसलिए, अपनी खेती की ज़मीन बेचने से पहले किसी टैक्स सलाहकार से राय ज़रूर लें ताकि आपको टैक्स की सही जानकारी मिल सके और आप किसी भी तरह के नुकसान से बच सकें।

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