
भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को लगातार मज़बूत कर रहा है, और इसी कड़ी में हाइपरसोनिक मिसाइलों का विकास एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो रहा है। ये अत्याधुनिक मिसाइलें न केवल गति के मामले में अभूतपूर्व हैं, बल्कि अपनी क्षमताओं के कारण भविष्य की लड़ाई में गेम चेंजर भी साबित हो सकती हैं। इनका लक्ष्य भारतीय सुरक्षा को अभेद्य बनाना और दुश्मनों को किसी भी दुस्साहस से रोकना है।
हाइपरसोनिक मिसाइल क्या है और क्यों है यह खास?
हाइपरसोनिक मिसाइलें वो होती हैं जिनकी गति ध्वनि की गति (लगभग 1,225 किलोमीटर प्रति घंटा) से कम से कम पाँच गुना (मैक 5) या उससे अधिक होती है। कुछ हाइपरसोनिक मिसाइलें मैक 7, मैक 10 या उससे भी अधिक गति से उड़ान भर सकती हैं। ये पारंपरिक मिसाइलों से कई मायनों में अलग और श्रेष्ठ हैं:
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अत्यधिक गति: इतनी ज़्यादा गति पर रडार और एयर डिफेंस सिस्टम के लिए इन्हें ट्रैक करना और रोकना लगभग असंभव हो जाता है। दुश्मन के पास प्रतिक्रिया करने का पर्याप्त समय नहीं बचता।
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पैंतरेबाजी की क्षमता (Maneuverability): ये सिर्फ तेज़ी से सीधी रेखा में नहीं चलतीं, बल्कि वायुमंडल के भीतर रहते हुए अपनी उड़ान के दौरान भी पैंतरेबाजी कर सकती हैं। यह उन्हें मौजूदा मिसाइल-रोधी प्रणालियों से बचने में और भी सक्षम बनाता है।
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उच्च सटीकता: अत्यधिक गति के बावजूद, इन्हें सटीक निशाना लगाने के लिए डिज़ाइन किया जाता है।
भारत की हाइपरसोनिक यात्रा: HSTDV की सफलता
भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने हाइपरसोनिक तकनीक में महत्वपूर्ण प्रगति की है। सितंबर 2020 में, भारत ने अपने हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) का सफल परीक्षण किया था। यह असल में एक टेक्नॉलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल है, जिसका मतलब है कि यह हाइपरसोनिक उड़ान और उससे जुड़ी तकनीकों को विकसित करने के लिए एक परीक्षण प्लेटफॉर्म है। इस परीक्षण में एक स्क्रैमजेट इंजन का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया, जो हाइपरसोनिक गति पर हवा से ऑक्सीजन खींचकर ईंधन जलाता है, जिससे यह बहुत कम समय में अत्यधिक गति प्राप्त कर लेता है। यह सफलता भारत को दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल करती है जिनके पास यह जटिल तकनीक है।
BrahMos-II: भविष्य की मारक क्षमता
HSTDV की सफलता ने भारत के लिए हाइपरसोनिक मिसाइलों के विकास का रास्ता खोल दिया है। DRDO रूस के सहयोग से पहले ही ब्रह्मोस (BrahMos) सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल का उन्नत संस्करण ब्रह्मोस-2 (BrahMos-II) नामक एक हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल पर काम कर रहा है। माना जा रहा है कि ब्रह्मोस-2 की गति मैक 7 या उससे भी अधिक हो सकती है, जिससे यह दुनिया की सबसे तेज़ और घातक मिसाइलों में से एक बन जाएगी।
रणनीतिक महत्व: क्यों यह गेम चेंजर है?
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दुश्मनों पर मनोवैज्ञानिक दबाव: ऐसी मिसाइलों का विकास दुश्मनों पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालता है कि भारत के पास इतनी उन्नत मारक क्षमता है कि उनके किसी भी आक्रामक इरादे को ध्वस्त किया जा सकता है।
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रक्षा कवच: ये मिसाइलें देश की रक्षा क्षमताओं को इतनी मज़बूती प्रदान करती हैं कि मौजूदा एयर डिफेंस सिस्टम भी इनके सामने बौने हो जाते हैं।
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आत्मनिर्भरता और तकनीकी श्रेष्ठता: हाइपरसोनिक मिसाइलों का विकास भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनाता है और उसे वैश्विक शक्तियों के समकक्ष खड़ा करता है।
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पड़ोसी देशों पर बढ़त: ये क्षमताएँ विशेष रूप से रणनीतिक रूप से संवेदनशील सीमाओं पर भारत को एक बड़ी बढ़त प्रदान करती हैं।
वर्तमान में, अमेरिका, रूस और चीन जैसे कुछ ही देश हैं जिनके पास परिचालन हाइपरसोनिक क्षमताएँ या उन्हें विकसित करने में महत्वपूर्ण प्रगति है। भारत का इस क्लब में शामिल होना वैश्विक शक्ति संतुलन में उसकी स्थिति को और मजबूत करेगा। यह विकास दर्शाता है कि भारत केवल अपनी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर रहा है, बल्कि रक्षा नवाचार में अग्रणी देशों में शामिल हो रहा है।