रुड़की में सड़क पर हाई वोल्टेज ड्रामा: माँ ने बेटी और उसके प्रेमी को चप्पलों से पीटा, बेवफाई का आरोप!

रुड़की में सड़क पर हाई वोल्टेज ड्रामा
रुड़की में सड़क पर हाई वोल्टेज ड्रामा

उत्तराखंड के रुड़की शहर में उस समय सनसनी फैल गई जब एक माँ ने अपनी ही बेटी और उसके कथित प्रेमी की तहसील के बाहर बीच सड़क पर चप्पलों से जमकर पिटाई कर दी। यह घटना कुछ ही पलों में एक हाई वोल्टेज ड्रामा में तब्दील हो गई, और देखते ही देखते तमाशबीनों की भारी भीड़ जमा हो गई। इस घटना ने न केवल पारिवारिक रिश्तों की उलझन को उजागर किया बल्कि समाज में कानून को हाथ में लेने की प्रवृत्ति पर भी सवाल खड़े कर दिए।

क्या है पूरा मामला: जब माँ ने खोया आपा

जानकारी के अनुसार, रुड़की की रहने वाली एक युवती की शादी करीब चार साल पहले देवबंद निवासी एक युवक से हुई थी। उसका पति वर्तमान में विदेश में नौकरी कर रहा है। आरोप है कि पति के विदेश जाने के बाद युवती का किसी अन्य युवक के साथ प्रेम संबंध स्थापित हो गया।

मंगलवार को (या जिस दिन घटना हुई हो), यह प्रेमी युगल किसी काम से रुड़की कचहरी (तहसील) पहुंचा था। दुर्भाग्यवश, युवती की माँ पहले से ही वहाँ मौजूद थी और उसने अपनी बेटी को उसके प्रेमी के साथ देख लिया। बेटी को पराये पुरुष के साथ देखकर महिला का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और वह खुद पर काबू नहीं रख सकी। उसने तुरंत अपनी चप्पल निकाली और बीच सड़क पर ही अपनी बेटी और उसके प्रेमी की पिटाई शुरू कर दी।

आँखों देखा हाल: तमाशबीनों की भीड़ और पुलिस का हस्तक्षेप

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, माँ का गुस्सा इतना प्रचंड था कि उसने न केवल अपनी बेटी को बल्कि उसके प्रेमी को भी नहीं बख्शा और दोनों की जमकर धुनाई की। चंद मिनटों में ही घटनास्थल पर भारी भीड़ जमा हो गई, लेकिन किसी ने भी बीच-बचाव करने की हिम्मत नहीं जुटाई, शायद माँ के गुस्से और मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए। लोग इस अप्रत्याशित घटनाक्रम को देखकर हैरान थे और कई लोग अपने मोबाइल फोन से वीडियो भी बनाने लगे।

इस हंगामे और अफरा-तफरी की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया और माँ, बेटी व उसके प्रेमी, तीनों को हिरासत में लेकर कोतवाली ले आई। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की गहनता से जांच कर रही है और सभी पक्षों से पूछताछ की जा रही है।

सामाजिक और कानूनी पहलू: क्या यह “सबक” सिखाना उचित है?

यह घटना कई महत्वपूर्ण सामाजिक और कानूनी प्रश्न खड़े करती है:

  1. कानून हाथ में लेना: चाहे आरोप कितने भी गंभीर क्यों न हों, किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने और सरेआम मारपीट करने का अधिकार नहीं है।

  2. पारिवारिक विवाद और सार्वजनिक प्रदर्शन: पारिवारिक विवादों को घर की चारदीवारी में सुलझाने के बजाय सड़क पर इस तरह प्रदर्शित करना समस्या को और जटिल बनाता है।

  3. “इज्जत” की अवधारणा: अक्सर ऐसे मामलों में “इज्जत” और “पारिवारिक प्रतिष्ठा” को बचाने के नाम पर हिंसा का सहारा लिया जाता है, जो कि अस्वीकार्य है।

  4. रिश्तों में दरार: यह घटना पति-पत्नी के बीच संवादहीनता, अकेलेपन और विवाहेतर संबंधों जैसे मुद्दों की ओर भी संकेत करती है।

  5. पुलिस की भूमिका: पुलिस की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन ऐसे मामलों में दीर्घकालिक समाधान के लिए काउंसलिंग और सामाजिक हस्तक्षेप की भी आवश्यकता होती है।

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