रामगढ़, 20 सितंबर (हि.स.)। रामगढ़ के एमवीआई द्वारा अवैध वसूली किए जाने का मुद्दा पूर्व विधायक शंकर चौधरी ने उठाया था। उन्होंने इस मामले पर रामगढ़ जिला प्रशासन के अधिकारियों को भी कटघरे में खड़ा किया था। डीसी चंदन कुमार ने इस मामले को संज्ञान में लिया और इसकी जांच प्रक्रिया भी शुरू की। लेकिन जांच प्रक्रिया पूर्व विधायक शंकर चौधरी की लापरवाही के कारण आगे नहीं बढ़ पा रही है। डीसी चंदन कुमार ने शुक्रवार को उन्हें 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है और अवैध वसूली से संबंधित साक्ष्य जिला परिवहन पदाधिकारी को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
डीसी चंदन कुमार ने शंकर चौधरी को एक पत्र प्रेषित किया है। जिसमें कहा है कि शंकर चौधरी के द्वारा 20 अगस्त 2024 को रामगढ़ के एमवीआई के विरुद्ध अवैध राशि की वसूली से संबंधित शिकायत साक्ष्य की घोषणा के साथ प्रस्तुत किए जाने की बात कही गई थी। जब यह घटना डीसी के संज्ञान में आई तो उन्होंने मामले की जांच शुरू की। उन्होंने बताया कि यह मामला ट्रांसपोर्ट विभाग से जुड़ा हुआ था। साथ ही शंकर चौधरी ने यह बात भी कही थी कि उनके हाथ एक डायरी लगी है। जिसमें लगभग 500-600 गाड़ियों का नंबर अंकित है। यह सभी ट्रक जिले में साइडिंग में चलती हैं। कुछ कल कारखानों में चलती हैं। कुछ साइडिंग से फैक्ट्री में कोयला ढुलाई का कार्य करती हैं। यह सभी ट्रक ओवरलोड में चलती हैं एवं इनमें अधिकांश के पास पेपर भी नहीं है। फिर क्या कारण है ,आज तक जिला प्रशासन के संज्ञान में यह नहीं आया?
एमवीआई वसूलत था 5000 रुपए प्रति महीना
इन सभी ट्रैकों को एमवीआई ने चलने की अनुमति दे रखी है। प्रत्येक ट्रक से 5000 रुपए प्रति महीना वसूलते हैं। सबसे आश्चर्य की बात है कि इस एमवीआई महाशय का ट्रांसफर रामगढ़ जिले से साहिबगंज जिले में हो गया है। उसके बावजूद भी यह रामगढ़ के एक होटल में रख कर पैसा वसूलते हैं। इस शिकायत की जांच हेतु आपके पास उपलब्ध साक्ष्य की छाया प्रति उपलब्ध कराने हेतु कार्यालय से 22 अगस्त को पत्र 707 निर्गत किया गया था। साक्ष्य के लिए कार्यालय से पत्रांक 733, 3 सितंबर को रिमाइंडर भेजा गया। परंतु वांछित साक्ष्य की प्रति अब तक आपके द्वारा उपलब्ध नहीं कराई गई। साक्ष्य की प्रति उपलब्ध नहीं होने के कारण जांच प्रक्रिया बाधित है। बार-बार रिमाइंडर करने के बावजूद साक्ष्य उपलब्ध नहीं करने से साक्ष्य में छेड़छाड़, हेर-फेर करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
शंकर चौधरी को डीसी ने किया आगाह
डीसी ने शंकर चौधरी को आगाह किया है कि भारतीय न्याय संहिता 2023 के अध्याय 914 मिथ्या साक्ष्य और लोक न्याय के विरुद्ध अपराधों के विषय में धारा 227 से 242 के अंतर्गत मिथ्या साक्ष्य देना, मिथ्या साक्ष्य गढ़ना, साक्ष्य विलोपित करना, साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ करना इत्यादि दंडनीय अपराध है। विशेष कर धारा 236 के अनुसार जो कोई अपने द्वारा की गई या हस्ताक्षरित किसी भी घोषणा में जिसकी तथ्य के साक्ष्य के रूप में लेने के लिए कोई न्यायालय या कोई लोक सेवक या अन्य व्यक्ति विधि द्वारा आबद्ध या प्राधिकृत हो कोई ऐसा कथन करेगा, जो किसी ऐसी किसी बात के संबंध में, जो इस उद्देश्य के लिए तात्विक हो जिसके लिए यह घोषणा की जाए या उपयोग में लाई जाए, मिथ्या है और उसके मिथ्या होने का उसे ज्ञान या विश्वास है, या जिसके सत्य होने का उसे विश्वास नहीं है, वह उसी प्रकार दंडित किया जाएगा, मानो उसने मिथ्या साक्ष्य दिया हो।
शंकर चौधरी ने भी जिला प्रशासन पर उठाए सवाल
इधर शंकर चौधरी ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डीसी पर कई सवाल उठा दिए हैं। उन्होंने कहा है कि अगर जिला प्रशासन चाहे तो उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर सकता है। जिसके लिए कोई मैसेज करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा है कि 17 सितंबर को उनके नंबर पर व्हाट्सएप मैसेज आया था, जिस पर कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की बात कही गई थी। शंकर चौधरी ने स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों के घोटाले, ओवरलोड चल रही गाड़ियां, डीसी कोर्ट द्वारा पारित किए गए आदेश पर भी सवाल खड़ा किया है। साथ ही उन्होंने चार बिंदु पर जिला प्रशासन से सवाल भी पूछा है।