भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने हाल ही में बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में अपने कार्यकाल के दौरान सामने आए कई संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने न्यायपालिका की स्वतंत्रता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उनके घर यात्रा, राम मंदिर फैसला, अनुच्छेद 370 और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर अपनी राय व्यक्त की। इंटरव्यू में उनसे एक अहम सवाल पूछा गया कि क्या भारतीय न्यायपालिका में वंशवाद हावी है, खासकर उच्च जाति के हिंदू पुरुषों का वर्चस्व है? इस पर उन्होंने अपने पिता और पूर्व न्यायाधीश वाई.वी. चंद्रचूड़ से मिली सलाह का जिक्र किया।
जब उनसे पूछा गया कि क्या भारतीय न्यायपालिका राजनीतिक दबाव में काम करती है, तो उन्होंने इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और यही कारण है कि लोगों का न्यायपालिका में विश्वास बना हुआ है।
न्यायपालिका में उच्च जाति के हिंदू पुरुषों का वर्चस्व होने के सवाल पर चंद्रचूड़ ने स्पष्ट रूप से इसे नकारा। उन्होंने कहा, अगर आप भारतीय न्यायपालिका के निचले स्तर की भर्ती प्रक्रिया पर गौर करें, तो कई राज्यों में 50 से 70 प्रतिशत नई भर्ती होने वाली न्यायधीश महिलाएं हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जैसे-जैसे महिलाओं को शिक्षा, विशेषकर विधि शिक्षा तक पहुंच मिल रही है, यह संतुलन न्यायपालिका के उच्च स्तर तक भी पहुंचेगा।
अपने पिता वाई.वी. चंद्रचूड़ का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि उनके पिता ने उन्हें सलाह दी थी कि जब तक वे CJI (मुख्य न्यायाधीश) के पद पर हैं, तब तक अदालत न जाएं। इसलिए उन्होंने हार्वर्ड लॉ स्कूल में पढ़ाई की और अपने पिता के सेवानिवृत्त होने के बाद ही अदालत में प्रवेश किया।
चंद्रचूड़ से यह भी पूछा गया कि क्या मोदी सरकार ने न्यायपालिका पर दबाव डाला था? इस पर उन्होंने कहा कि भारत में न्यायपालिका पूरी तरह स्वतंत्र है। बीबीसी द्वारा उद्धृत न्यूयॉर्क टाइम्स के संपादकीय में यह दावा किया गया था कि भाजपा सरकार न्यायपालिका का उपयोग अपने राजनीतिक हितों के लिए कर रही है, जिसका चंद्रचूड़ ने विरोध करते हुए कहा कि अगर आप 2024 के आम चुनावों को देखें, तो यह धारणा गलत साबित होती है, क्योंकि विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय दलों ने अच्छा प्रदर्शन किया और स्वतंत्र रूप से सरकार चला रहे हैं।
गुजरात हाई कोर्ट द्वारा राहुल गांधी की सजा को बरकरार रखने और बाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसे निलंबित करने के मुद्दे पर चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर न्यायपालिका किसी दबाव में होती, तो सुप्रीम कोर्ट उनकी सजा को निलंबित क्यों करता? उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने 21,300 जमानत याचिकाओं का निपटारा किया, जिससे यह साबित होता है कि न्यायपालिका निष्पक्ष रूप से कार्य कर रही है।