सर्दियों में ज्यादा मसाले खाना सेहत के लिए खतरनाक, जानें क्या बोले एक्सपर्ट

699961a15c430ccbf619123fb8ec30d3

मसाले हमारी रसोई की सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक हैं। हमारी रसोई में इस्तेमाल होने वाले ज़्यादातर मसालों की तासीर गर्म होती है। औषधीय गुणों से भरपूर इन मसालों का इस्तेमाल सर्दियों में बढ़ जाता है। दालचीनी, लौंग, काली मिर्च और इलायची जैसे साबुत मसाले शरीर को गर्म रखने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। इससे शरीर सर्दी-खांसी से बचा रहता है।

लेकिन दिल्ली के श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के डॉ. अरविंद अग्रवाल (वरिष्ठ कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन) का कहना है कि सर्दियों में शरीर को गर्म रखने और खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए काली मिर्च, दालचीनी, लौंग और तेजपत्ते का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन साबुत मसालों का अधिक इस्तेमाल नुकसानदायक भी हो सकता है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि इन मसालों का शरीर पर क्या बुरा असर हो सकता है।

पेट की समस्या

डॉ. अरविंद अग्रवाल कहते हैं कि ज़्यादा साबुत मसाले खाने से पेट में जलन, गैस और एसिडिटी की समस्या हो सकती है। साथ ही ये पाचन क्रिया को भी प्रभावित कर सकते हैं। इन्हें ज़्यादा खाने से मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाएगा, जिससे खाना देर से पचेगा।

गले में जलन महसूस होना

काली मिर्च और लाल मिर्च जैसे मसाले ज़्यादा खाने से गले में जलन और सूजन हो सकती है। इसके अलावा मुंह में छाले भी हो सकते हैं। हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों के लिए दालचीनी और लौंग का ज़्यादा सेवन ख़तरनाक हो सकता है। ये मसाले रक्त संचार को बढ़ा देते हैं, जिससे समस्या गंभीर हो सकती है।

एलर्जी भी हो सकती है

बहुत ज़्यादा मसाले खाने से स्किन एलर्जी, खुजली, रैशेज या दूसरी परेशानियां हो सकती हैं। ये शरीर में गर्मी बढ़ाते हैं, जिससे स्किन संबंधी परेशानियां बढ़ सकती हैं। इसके अलावा डाइट में बहुत ज़्यादा मसाले शामिल करने से लिवर और किडनी पर दबाव पड़ता है। ऐसे में साबुत मसालों का सेवन सीमित मात्रा में करें।

इन बातों का रखें ध्यान

सर्दियों के मौसम में भी कोशिश करें कि ज़्यादा मसालेदार खाना खाने से बचें। जितना हो सके उतने फल, सब्ज़ियाँ और फाइबर युक्त चीज़ें खाएं। अपने शरीर को हाइड्रेट रखें। नियमित रूप से 8 से 10 गिलास पानी पिएँ। इसके साथ ही अपनी जीवनशैली में व्यायाम को ज़रूर शामिल करें। इससे आपका पाचन बेहतर रहता है और शारीरिक समस्याएँ नहीं होतीं।