जल वास्तु टिप्स: वास्तु शास्त्र में दिशा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। अग्नि, जल, वायु, आकाश और पृथ्वी के लिए भी अलग-अलग दिशाएँ निर्धारित हैं। घर के उन पांच तत्वों से संबंधित वस्तुएं वास्तु शास्त्र में बताई गई दिशाओं से जुड़ी होती हैं। इससे उन्नति और प्रगति हो सकती है।
यदि निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है, तो वास्तु दोष उत्पन्न हो सकते हैं और व्यक्ति के जीवन में समस्याएं आ सकती हैं। इसलिए वास्तु शास्त्र में इन बातों पर विशेष ध्यान दिया गया है। वास्तु के अनुसार पानी के बर्तन रखने के लिए पूर्व और उत्तर दिशा सबसे शुभ मानी जाती है। इस दिशा में पानी की टंकी भी रखी जा सकती है।
अब इस लेख में ज्योतिष पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि घर के किस स्थान या दिशा में गलती से भी पानी नहीं रखना चाहिए।
इस स्थान पर वास्तु के अनुसार रखें पानी
यदि आप भवन निर्माण करा रहे हैं तो वास्तु के नियमों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। खासतौर पर घर में पानी की जगह या पानी की टंकी। जहां पानी रखा जाता है. उस स्थान को वास्तु के अनुसार रखना चाहिए। क्योंकि घर में जिस स्थान पर पानी रखा जाता है उसका संबंध घर के सदस्यों से होता है। अगर पानी को सही स्थान पर नहीं रखा जाए तो आर्थिक नुकसान होने की संभावना रहती है और अगर इसे सही स्थान पर रखा जाए तो व्यक्ति को शुभ परिणाम भी मिल सकते हैं। इसलिए पश्चिम दिशा में भी पानी रखा जा सकता है।
ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में रखें पानी
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में पानी का स्थान उत्तर-पूर्व कोने में होना चाहिए। पानी की टंकी हमेशा उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में बनानी चाहिए।
इस दिशा में न रखें जल संबंधी वस्तुएं
घर में यदि बोर कराया जाए तो वह कभी भी दक्षिण-पूर्व, उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं करना चाहिए। इसके लिए उत्तर-पूर्व कोना ही शुभ माना जाता है।
घर में बाथरूम इस दिशा में नहीं होना चाहिए।
घर के अंदर पानी से जुड़े इन पांच दोषों के कारण व्यक्ति हो जाता है गरीब, जानिए इससे जुड़े उपाय। वास्तु शास्त्र में नल से पानी का टपकना अशुभ माना जाता है। यदि हां, तो आज ही नल की मरम्मत करा लें। अन्यथा इससे घर में दरिद्रता आती है और भुखमरी तक की नौबत आ सकती है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि घर में बाथरूम कक्ष पूर्व दिशा में नहीं होना चाहिए। इससे मानसिक परेशानियां बढ़ती हैं।