शनिदेव: शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। शनि हर किसी को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनि दोष में शनि की साढ़े साती सबसे कष्टकारी होती है। शनि की साढ़ेसाती के दौरान व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
शनि की साढ़ेसाती एक ग्रह दशा है जो साढ़े सात साल तक चलती है और इसके तीन चरण होते हैं। शनि सभी ग्रहों में सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है। शनि को एक राशि से दूसरी राशि में जाने में ढाई वर्ष का समय लगता है। शनि की साढ़ेसाती के दौरान व्यक्ति को कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है।
जिन लोगों की कुंडली में शनि भारी होता है या शनि की स्थिति कमजोर होती है उन्हें साढ़ेसाती के कारण कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
शनि की साढ़ेसाती के दौरान कोई भी जोखिम भरा काम करने से बचना चाहिए। घर या कार्यस्थल पर बिना वजह किसी से बहस करने से बचना चाहिए। वाहन चलाते समय हमेशा सावधान रहें।
झूठ बोलना, धोखा देना, चोरी करना, दूसरों को परेशान करना और गलत तरीकों से पैसा कमाना जैसी आदतों से बचना चाहिए।
जो लोग शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव में हैं उन्हें रात के समय अकेले यात्रा नहीं करनी चाहिए। इन दोनों ही दिन काले कपड़े या चमड़े की चीजें खरीदने से बचें।
शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करना बहुत उपयोगी माना जाता है।