Delhi revenue districts restructuring: नए जिले, नए नाम और आपकी सहूलियत का पूरा प्लान
Delhi revenue districts restructuring: अगर आप दिल्ली में रहते हैं, तो यह खबर आपके पते और आपके सरकारी कामकाज के तरीके को बदल सकती है। दिल्ली सरकार का राजस्व विभाग राजधानी के प्रशासनिक नक्शे को पूरी तरह से बदलने की तैयारी कर रहा है। सालों से चले आ रहे पुराने सिस्टम को हटाकर अब एक नया और सुलझा हुआ ढांचा बनाने का प्रस्ताव दिया गया है।
अभी दिल्ली में 11 राजस्व जिले (Revenue Districts) हैं, लेकिन प्रस्ताव पास हुआ तो यह बढ़कर 13 हो जाएंगे। इसका सीधा असर आपके आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन और राशन कार्ड जैसे कामों पर पड़ेगा।
क्यों पड़ रही है बदलाव की ज़रूरत?
ईमानदारी से कहें तो दिल्ली का मौजूदा सिस्टम बहुत कन्फ्यूजिंग है। होता यह है कि आपका घर किसी और एमसीडी (MCD) ज़ोन में आता है, लेकिन डीएम या एसडीएम का दफ्तर किसी और ही जिले में होता है।
मिसाल के तौर पर, नजफगढ़ के कई इलाके भौगोलिक रूप से बहुत दूर हैं, लेकिन वो कागजों पर 'नई दिल्ली' राजस्व जिले में आते हैं। लोग परेशान होते हैं कि शिकायत कहाँ करें? पश्चिम में या दक्षिण-पश्चिम में? इसी कन्फ्यूजन को खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने 30 अगस्त को आदेश दिया था कि सिस्टम सुधारा जाए। अब सरकार राजस्व जिलों को एमसीडी के 12 जोन्स (Wards) के हिसाब से सेट करना चाहती है, ताकि आपको पता हो कि आपके सारे काम एक ही दायरे में होंगे।
क्या-क्या बदल सकता है?
नए प्रस्ताव के मुताबिक, 9 नए जिले बनाने की बात है और कई पुरानों को हटाया या बदला जाएगा। यहाँ कुछ बड़े बदलाव दिए गए हैं जो हो सकते हैं:
- नए जिलों की एंट्री: अब एमसीडी ज़ोन के नामों पर ही जिले हो सकते हैं, जैसे-रोहिणी, नरेला, केशवपुरम, सिविल लाइंस और करोल बाग।
- नई दिल्ली (New Delhi) होगी छोटी: वीवीआईपी इलाकों वाली 'नई दिल्ली' जिले में अभी तीन हिस्से हैं-छावनी, वसंत विहार और चाणक्यपुरी। प्रस्ताव है कि 'वसंत विहार' को निकालकर नजफगढ़ जिले में डाल दिया जाए। यानी नई दिल्ली अब मुख्य रूप से लुटियंस ज़ोन और छावनी तक ही सीमित रह जाएगी।
- भीड़भाड़ वाले जिलों को राहत: उत्तर-पूर्वी (North-East) और पूर्वी (East) जिले, जहाँ बहुत घनी आबादी है, उन्हें शायद खत्म करके 'शाहदरा उत्तर' और 'शाहदरा दक्षिण' में बांटा जा सकता है।
- दक्षिण-पूर्व का क्या होगा: डिफेंस कॉलोनी, कालकाजी और बदरपुर जैसे इलाके, जो अभी दक्षिण-पूर्व में हैं, उन्हें 'मध्य जिला' (Central District) में मिलाया जा सकता है।
सरकार की मंशा क्या है?
इस पूरी कसरत का एक ही मकसद है-"पुराने और भारी-भरकम जिलों को छोटे टुकड़ों में बांटना।" इससे अधिकारियों पर काम का बोझ कम होगा और जनता की शिकायतों का निपटारा जल्दी हो सकेगा।
अधिकारी ने बताया कि अभी यह सिर्फ एक 'प्रस्ताव' है। सरकार इस नए नक्शे की जांच करेगी, यह देखेगी कि इसे लागू करना कितना सही है और क्या इससे आम आदमी को वाकई फायदा होगा। सबकी राय लेने के बाद और सरकार की फाइनल मुहर लगने के बाद ही दिल्ली का यह नया नक्शा लागू होगा। तब तक, यह समझना जरूरी है कि सरकार का फोकस अब बाउंड्री की उलझन को सुलझाने पर है।
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