सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। यह पर्व देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना का प्रतीक है और पूरे देश में श्रद्धा व भक्ति के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है—चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि। इनमें से चैत्र नवरात्रि को अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि यह हिंदू नववर्ष की शुरुआत का भी प्रतीक होता है।
नौ दिनों तक भक्त मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना करते हैं, व्रत रखते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। यह समय आध्यात्मिक शुद्धिकरण, सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने और देवी कृपा पाने का होता है।
कब से शुरू हो रही है चैत्र नवरात्रि 2025?
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि
🔹 29 मार्च 2025 को शाम 4:27 बजे शुरू होगी और
🔹 30 मार्च 2025 को दोपहर 12:49 बजे समाप्त होगी।
उदया तिथि के आधार पर, चैत्र नवरात्रि 30 मार्च 2025 से 7 अप्रैल 2025 तक मनाई जाएगी। 7 अप्रैल को राम नवमी का पर्व भी मनाया जाएगा, जो इस नवरात्रि का विशेष समापन होगा।
इस बार माता रानी की सवारी क्या होगी?
हर नवरात्रि में देवी दुर्गा विभिन्न वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं, और इन वाहनों के आधार पर पूरे वर्ष के शुभ-अशुभ संकेतों का अंदाजा लगाया जाता है।
🔹 इस वर्ष देवी दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं।
🔹 घोड़े की सवारी बड़े परिवर्तनों और सामाजिक-राजनीतिक उथल-पुथल का संकेत देती है।
🔹 ऐसा माना जाता है कि जब देवी घोड़े पर आती हैं, तो देश और समाज में बड़े बदलाव होते हैं।
इसलिए, इस वर्ष कुछ नई राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियां देखने को मिल सकती हैं।
नवरात्रि में कौन-कौन से कार्य शुभ माने जाते हैं?
नवरात्रि के दौरान भक्तों को विशेष नियमों का पालन करना चाहिए।
1. स्नान और स्वच्छता
✔️ हर दिन सुबह स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
✔️ घर और मंदिर की साफ-सफाई करें, जिससे सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।
2. कलश स्थापना (Ghatasthapana)
✔️ शुभ मुहूर्त में विधिपूर्वक कलश स्थापित करें।
✔️ कलश में गंगाजल, सुपारी, अक्षत, पान का पत्ता और सिक्का डालें।
✔️ इस पर नारियल रखें और लाल कपड़े से लपेटकर देवी का आह्वान करें।
3. पूजा विधि (Daily Rituals)
✔️ नौ दिनों तक देवी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करें:
- पहला दिन – माता शैलपुत्री
- दूसरा दिन – माता ब्रह्मचारिणी
- तीसरा दिन – माता चंद्रघंटा
- चौथा दिन – माता कूष्मांडा
- पांचवा दिन – माता स्कंदमाता
- छठा दिन – माता कात्यायनी
- सातवां दिन – माता कालरात्रि
- आठवां दिन – माता महागौरी
- नौवां दिन – माता सिद्धिदात्री
✔️ नवमी (7 अप्रैल 2025) को कन्या पूजन और हवन करें।
4. भोग और प्रसाद (Offerings to Goddess Durga)
✔️ प्रत्येक दिन देवी को विशेष भोग चढ़ाएं:
- पहले दिन – चावल और गाय का दूध
- दूसरे दिन – गुड़ और चने की दाल
- तीसरे दिन – खीर
- चौथे दिन – हलवा और मालपुआ
- पांचवे दिन – फलों का भोग
- छठे दिन – शहद और दूध से बनी मिठाई
- सातवें दिन – गुड़ और नारियल
- आठवें दिन – हलवा-पूरी और चने
- नवमी को – खीर, हलवा, पूरी और पंचमेवा
✔️ भोग चढ़ाने के बाद प्रसाद बांटें और परिवार के साथ ग्रहण करें।
5. तामसिक भोजन से परहेज
✔️ लहसुन, प्याज और मांसाहार का सेवन वर्जित होता है।
✔️ केवल सात्विक भोजन करें और मन को शुद्ध रखें।
6. आरती और भजन-कीर्तन
✔️ सुबह और शाम देवी की आरती करें।
✔️ दुर्गा सप्तशती और देवी महात्म्य का पाठ करें।
✔️ मां दुर्गा के भजन और मंत्रों का जाप करें।
चैत्र नवरात्रि का महत्व
🔹 हिंदू नववर्ष की शुरुआत: चैत्र नवरात्रि से ही विक्रम संवत 2082 का शुभारंभ होगा।
🔹 आध्यात्मिक उन्नति: इन नौ दिनों में ध्यान, साधना और पूजा करने से मानसिक और आत्मिक शुद्धि होती है।
🔹 सकारात्मक ऊर्जा: देवी दुर्गा की कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।