कश्मीर से हटेंगे केंद्रीय सुरक्षा बल, राज्य पुलिस को सौंपी जाएगी सुरक्षा की जिम्मेदारी: अमित शाह

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केंद्रीय सुरक्षा बलों को जम्मू-कश्मीर से वापस लौटना है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस ऐतिहासिक फैसले की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि अब जम्मू-कश्मीर पुलिस राज्य की सामान्य कानून-व्यवस्था प्रबंधन के लिए पर्याप्त होगी, इसलिए सेना और सीआरपीएफ को वापस बुलाया जाएगा. अमित शाह ने ये बात एक स्थानीय टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कही. अमित शाह ने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के बाद केंद्रीय बलों को वापस बुलाने की प्रक्रिया शुरू होगी. शाह ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (एएफएसपीए) को हटाने पर भी विचार किया जाएगा। माना जा रहा है कि अमित शाह ने यह बयान देकर लोकसभा चुनाव से पहले जम्मू-कश्मीर के वोटरों पर बड़ा दांव खेला है. गृह मंत्री ने राज्य से अनुच्छेद 370 हटने के बाद के हालात पर भी आंकड़ों से बात की. उन्होंने कहा कि कैसे अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी तत्वों पर अंकुश लगा और सरकार और संस्थानों में जनता की भागीदारी बढ़ी।

गृह मंत्री ने कहा कि 2019 के बाद से राज्य में आतंकवाद और पथराव की घटनाओं में भारी कमी आई है. गौरतलब है कि अमित शाह के इस बयान के पीछे राज्य की जनता के लिए बड़ा संदेश है. सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दिया है और इसे देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री का यह संदेश बेहद अहम है.

AFSPA एक्ट क्या है?

AFSPA अशांत क्षेत्रों में सेवारत सशस्त्र बलों के जवानों को सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक होने पर कार्रवाई करने का अधिकार देता है। गिरफ्तार कर सकते हैं और गोली भी चला सकते हैं. AFSPA सशस्त्र बलों के संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए किसी भी क्षेत्र या जिले को अशांत घोषित कर सकता है। राज्य में अब आतंकी गतिविधियां कम हो गई हैं.

कश्मीर पुलिस पर भरोसा रखें

पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस पर शक जताया जाता था, लेकिन अब उन पर पूरा भरोसा है. आज स्थिति यह है कि राज्य पुलिस आतंकवाद विरोधी अभियान का नेतृत्व कर रही है. अमित शाह ने कहा कि जो लोग इस्लाम और मुसलमानों की दुहाई देकर अनुच्छेद 370 का बचाव कर रहे थे, उन्हें पता होना चाहिए कि आतंकवादी घटनाओं में मारे गए 80 प्रतिशत लोग मुसलमान थे.