CBSE's Big change : अब 10वीं में गणित और विज्ञान की परीक्षा होगी दो लेवल पर, जानें आपके बच्चे पर क्या होगा असर
News India Live, Digital Desk : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की सिफारिशों को लागू करते हुए 10वीं कक्षा के छात्रों के लिए एक बड़ा और महत्वपूर्ण बदलाव किया है। अब आने वाले सत्र से गणित की तरह ही विज्ञान की परीक्षा भी दो स्तरों पर आयोजित की जाएगी। इस नए नियम का उद्देश्य छात्रों पर से परीक्षा के बोझ को कम करना और उन्हें अपनी रुचि और भविष्य की योजनाओं के अनुसार विषय की गहराई को चुनने का अवसर देना है। आइए, इस नए बदलाव को आसान भाषा में समझते हैं।
क्या हैं ये दो लेवल - स्टैंडर्ड और एडवांस?
अब तक यह व्यवस्था सिर्फ गणित विषय के लिए थी, लेकिन अब इसे विज्ञान (भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान) के लिए भी लागू कर दिया गया है। अब छात्रों को 10वीं की बोर्ड परीक्षा के लिए इन दोनों विषयों में दो विकल्प मिलेंगे:
- स्टैंडर्ड लेवल (Standard Level): यह स्तर उन छात्रों के लिए होगा जो भविष्य में यानी 11वीं और 12वीं कक्षा में गणित या विज्ञान को मुख्य विषय के रूप में नहीं लेना चाहते हैं। उदाहरण के लिए, जो छात्र कॉमर्स, आर्ट्स या ह्यूमैनिटीज जैसे विषयों में अपना करियर बनाना चाहते हैं, वे स्टैंडर्ड लेवल का विकल्प चुन सकते हैं। इस पेपर का कठिनाई स्तर एडवांस लेवल की तुलना में थोड़ा आसान होगा और इसमें विषय की बुनियादी समझ पर जोर दिया जाएगा।
- एडवांस लेवल (Advance Level): यह स्तर उन छात्रों के लिए है जो 11वीं और 12वीं में साइंस स्ट्रीम (PCM या PCB) लेना चाहते हैं और भविष्य में इंजीनियरिंग, मेडिकल या विज्ञान से जुड़े अन्य क्षेत्रों में अपना करियर बनाना चाहते हैं। इस परीक्षा का स्तर थोड़ा कठिन होगा और इसमें विषय की गहरी समझ, तार्किक क्षमता और एप्लीकेशन-आधारित प्रश्नों पर अधिक ध्यान दिया जाएगा।
क्यों लिया गया यह फैसला?
इस बदलाव के पीछे CBSE का मुख्य उद्देश्य छात्रों पर से उस तनाव को कम करना है, जो उन विषयों को गहराई से पढ़ने के कारण होता है, जिन्हें वे भविष्य में पढ़ना ही नहीं चाहते।
- तनाव में कमी: कई छात्र सिर्फ इसलिए गणित और विज्ञान में बहुत ज्यादा मेहनत करते थे क्योंकि उन्हें बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक लाने होते थे, भले ही उनकी रुचि इन विषयों में न हो। अब वे स्टैंडर्ड लेवल चुनकर राहत की सांस ले सकते हैं।
- बेहतर फोकस: जो छात्र वास्तव में विज्ञान और गणित में रुचि रखते हैं, वे एडवांस लेवल चुनकर अपनी तैयारी को और बेहतर बना सकते हैं और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए खुद को तैयार कर सकते हैं।
- सही करियर चुनने में आसानी: यह व्यवस्था छात्रों को पहले से ही यह तय करने में मदद करेगी कि उनकी रुचि किस क्षेत्र में है, जिससे उन्हें 11वीं में सही स्ट्रीम चुनने में आसानी होगी।
छात्रों और अभिभावकों को क्या ध्यान रखना होगा?
स्कूलों को 9वीं कक्षा में रजिस्ट्रेशन के समय ही छात्रों और उनके अभिभावकों को इन दोनों विकल्पों के बारे में अच्छी तरह से समझाना होगा। छात्र को अपने भविष्य के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लेना होगा कि वह कौन सा स्तर चुनना चाहता है। हालांकि, बोर्ड इस पर भी विचार कर रहा है कि अगर कोई छात्र स्टैंडर्ड लेवल में पास होने के बाद अपना मन बदलता है, तो उसे एडवांस लेवल की परीक्षा देने का एक और मौका दिया जा सकता है या नहीं, जैसा कि गणित में होता है।
यह निश्चित रूप से CBSE द्वारा उठाया गया एक प्रगतिशील कदम है जो छात्रों को रटने की प्रवृत्ति से हटाकर समझने और अपनी रुचि के अनुसार सीखने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
--Advertisement--