अनिद्रा: अनिद्रा हर दूसरे व्यक्ति में आम है। यह अनिद्रा की बीमारी है, लेकिन ज्यादातर लोग इसे बीमारी नहीं मानते हैं, बल्कि यह केवल एक मनोवैज्ञानिक विकार या तनाव का एक कारण है। इस विषय पर काफी शोध हो चुका है और यह शोध अभी भी जारी है।
हाल ही में हुए एक शोध में इस बात का जिक्र किया गया है कि जब आप सो नहीं पाते हैं तो घड़ी देखने का आप पर क्या प्रभाव पड़ता है? अब आप सोच रहे होंगे कि घड़ी देखने का भी कोई असर होता है और क्या यह हानिकारक साबित होता है? आइए, हम आपको बताते हैं कि नींद न आने पर घड़ी को बार-बार देखने से आप पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्या उपाय है?
नींद न आने पर बार-बार घड़ी देखने का प्रभाव
इंडियाना यूनिवर्सिटी के स्पेंसर डावसन द्वारा किए गए शोध में पाया गया कि जब आप बिस्तर पर लेटे हों और सोने की कोशिश कर रहे हों तो बार-बार घड़ी को देखने से अनिद्रा और भी बदतर हो सकती है। इसका मतलब है कि नींद आने की संभावना और भी कम हो जाती है। सोते समय घड़ी या समय देखने से न केवल अनिद्रा की समस्या बढ़ती है, बल्कि नींद की प्रभावशीलता भी कम हो जाती है।
इंडियाना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्पेंसर डॉसन के अनुसार, बस एक छोटा सा बदलाव करने से लोगों को बेहतर नींद लेने में मदद मिल सकती है। अध्ययन के अनुसार, घड़ी या समय को बार-बार देखने से बचना ही एकमात्र उपाय है।
प्रोफेसर स्पेंसर डावसन द्वारा
प्रोफेसर स्पेंसर डॉसन द्वारा किए गए शोध ने स्लीप क्लिनिक में भाग लेने वाले 5,000 रोगियों पर ध्यान केंद्रित किया। दुनिया भर में 4 से 22 प्रतिशत लोगों को नींद की समस्या है, और ये समस्याएं पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ी हैं, जिनमें मधुमेह, हृदय रोग और अवसाद शामिल हैं।
डॉसन के अनुसार बार-बार घड़ी देखने की आदत भी नींद की दवा को प्रभावित कर सकती है, जिससे अनिद्रा के लक्षण और भी बदतर हो जाते हैं। बार-बार घड़ी देखने से लोगों को चिंता होने लगती है कि उन्हें नींद क्यों नहीं आ रही है और वे अनुमान लगाने लगते हैं कि वे कब सोएंगे और कब जाग पाएंगे।