झारखंड विधानसभा में CAG रिपोर्ट पेश, वित्तीय अनियमितताओं और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का खुलासा

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झारखंड विधानसभा में गुरुवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें विभिन्न सरकारी विभागों में वित्तीय अनियमितताओं, धन के गलत उपयोग और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को उजागर किया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकार के निकायों और प्राधिकरणों ने बड़ी राशि की उपयोगिता प्रमाण पत्र (UC) जमा नहीं किए, जिससे सरकारी खर्चों में भारी अनियमितता की आशंका बढ़ गई है। इसके अलावा, स्वास्थ्य सेवाओं में स्टाफ की भारी कमी, आकस्मिक विपत्रों में गड़बड़ी और बजटीय प्रावधानों में गंभीर खामियां पाई गई हैं।

1. सरकारी फंड का गलत उपयोग – 52,209 उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं जमा

 CAG रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान 19,125.88 करोड़ रुपये की अनुदान राशि जारी की गई थी, लेकिन इसके 52,209 उपयोगिता प्रमाण पत्र (UC) राज्य सरकार के निकायों और प्राधिकरणों द्वारा जमा नहीं किए गए।

इससे 114,035.62 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग किस उद्देश्य से हुआ, इसकी कोई जानकारी नहीं मिल पाई।

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई कि उपयोगिता प्रमाण पत्रों की अधिक संख्या में लंबित रहने से निधि के दुरुपयोग और वित्तीय अनियमितताओं की आशंका बढ़ जाती है।

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2. आकस्मिक विपत्र निकासी में गड़बड़ी

वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान राज्य के 8 विभागों ने 30 आकस्मिक विपत्रों के माध्यम से सरकारी खातों से 26.22 करोड़ रुपये निकाले।

सिर्फ मार्च 2024 में ही 9 आकस्मिक विपत्रों से 13.32 करोड़ रुपये की निकासी हुई।

25 आकस्मिक विपत्रों से निकाले गए 21.54 करोड़ रुपये का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।

18011 आकस्मिक विपत्र अब तक जमा नहीं किए गए, जिनके जरिए कुल 4,891.72 करोड़ रुपये की निकासी हुई थी।

3. बजटीय प्रावधानों में गंभीर गड़बड़ी – 4,536.39 करोड़ रुपये का गलत आवंटन

झारखंड सरकार ने 4,536.39 करोड़ रुपये का गलत बजटीय प्रावधान किया।

राजस्व अनुभाग के बजाए पूंजीगत अनुभाग में इस राशि को दिखाया गया, जिससे व्यय का सही आंकलन नहीं हो सका।

 इसमें 4,433.60 करोड़ रुपये पूंजीगत परिसंपत्तियों के लिए, 36.27 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति और नकद राहत के लिए, 50 करोड़ रुपये सहायता अनुदान के लिए और 16.52 करोड़ रुपये मरम्मत कार्यों के लिए आवंटित किए गए थे।

4. स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली – डॉक्टरों के 61% पद खाली

मार्च 2022 तक झारखंड में चिकित्सा अधिकारियों और विशेषज्ञों के 3,634 स्वीकृत पदों में से 2,210 पद खाली थे, जो 61% की भारी कमी दर्शाता है।

 स्टाफ नर्सों के 5,872 स्वीकृत पदों में से 3,033 पद और पैरामेडिक्स के 1,080 स्वीकृत पदों में से 864 पद खाली पड़े हैं।

6 जिलों (धनबाद, दुमका, गुमला, गढ़वा, सरायकेला-खरसावां और सिमडेगा) में किए गए विस्तृत ऑडिट में भीषण स्टाफ की कमी उजागर हुई।

 कई अस्पतालों में OPD सेवाएं, ENT, मानसिक रोग, हड्डी रोग, शिशु रोग, सामान्य सर्जरी और सामान्य चिकित्सा सेवाएं तक नहीं उपलब्ध थीं।

5. मेडिकल कॉलेजों में भी 45% स्टाफ की कमी

6 मेडिकल कॉलेजों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के 641 स्वीकृत पदों में से 286 पद (45%) खाली पाए गए।

जरूरी दवाओं की 65% से 95% तक कमी पाई गई।

ऑपरेशन थिएटर (OT) में भी उपकरणों की 48% से 67% तक कमी देखी गई।

 CAG ने MCI (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) की सिफारिशों को लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि शिक्षण कर्मचारियों की कमी को दूर किया जा सके।