सनातन धर्म में भोजन को लगभग देवता के समान पूजनीय माना गया है। इसलिए खाना बनाते और खाते समय कुछ नियमों का पालन करना जरूरी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग सम्मानपूर्वक खाना बनाते और खाते हैं उन्हें दिन में दोगुनी और रात में चौगुनी दुआ मिलती है। ऐसा माना जाता है कि ऐसे घरों में भोजन की देवी देवी अन्नपूर्णा का आशीर्वाद हमेशा मौजूद रहता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि भोजन के भंडार कभी खत्म न हों।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार भोजन बनाते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। खाना पकाने से पहले लोगों को तन और मन से शुद्ध होना चाहिए। मन संतुष्ट होने पर ही खाना बनाना चाहिए। देवी अन्नपूर्णा के निरंतर आशीर्वाद को आमंत्रित करते हुए भोजन को हमेशा साफ जगह पर तैयार और संग्रहित किया जाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार खाना खाने से पहले भोजन मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है।
खाना खाने से पहले इस मंत्र का जाप करें:
ॐ सः नाववतु, सः नौ भुनक्तु, सः वीर्यं करवावहै। तेजस्वि नवधीतमस्तु मा विद्विषावहै। , शांति शांति शांति: ।
भोजन का सम्मान करें: एक
भोजन करते समय कभी भी भोजन का अनादर नहीं करना चाहिए और दाहिने हाथ से भोजन करना शुभ माना जाता है। बाएं हाथ से भोजन करना अशुभ माना जाता है और परेशानी ला सकता है।
भोजन करते समय दिशा:
हिंदू परंपरा में किसी भी कार्य के समय और दिशा का विशेष महत्व होता है। सही समय पर और सही दिशा में भोजन करने की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है। हिंदू मान्यताओं में पूर्व दिशा को शुभ माना जाता है इसलिए भोजन करते समय उस दिशा की ओर मुख करना अच्छा माना जाता है।
भोजन दान करना:
यदि कोई अपने घर में अन्न और धन की निरंतर प्रचुरता चाहता है तो उसे सदैव दान-पुण्य के कार्यों में लगे रहना चाहिए। अन्न दान करना महादान के समान माना जाता है। इसमें आम लोगों के साथ-साथ पशु-पक्षियों को भी प्रतिदिन दान देना शामिल है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कभी भी भोजन और धन की कमी न हो।
खाने का सही तरीका:
हिंदू मान्यताओं के अनुसार भोजन करते समय हमेशा जमीन या ऊंचे आसन पर बैठना चाहिए। जितना हो सके उतना ही खाना खाएं और प्लेट में कभी भी बचा हुआ खाना न छोड़ें। बिस्तर पर लेटकर भोजन करना या भोजन संभालते समय हाथ धोना हतोत्साहित किया जाता है। ऐसी प्रथाओं से घर में अन्न और धन की कमी हो सकती है। लोगों को हमेशा शुद्ध दिल और दिमाग से खाना खाना चाहिए। भोजन के समय विवाद करना देवी अन्नपूर्णा का अपमान माना जाता है।