रांची, 13 मई (हि.स.)। झारखंड हाई कोर्ट में संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण वहां जनसंख्या की स्थिति में कुप्रभाव को लेकर डेनियल दानिश की जनहित याचिका की सुनवाई सोमवार को हुई। मामले में केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (सीएए) तहत संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान और उन पर एक्शन संभव नहीं है। सीएए से नागरिकता मांगने वालों की जांच के बाद भारत की नागरिकता से जायेगी। बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने एवं उनपर करवाई करने के लिए सीएए नहीं है।
राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जिसमें केंद्र सरकार के सहयोग से बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान की जाएगी। इस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता से कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने का मामला गंभीर मामला है। इसलिए इस पर केंद्र सरकार से इंस्ट्रक्शन लेकर जवाब दाखिल करें। कोर्ट ने मामले के अगली सुनवाई जून माह निर्धारित की है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि सीएए के तहत केंद्र सरकार संथालपरगना के पांच जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों पर सीधा एक्शन ले सकता है या नहीं ? कोर्ट को बताया गया था कि झारखंड के संथाल परगना के पांच जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों पर एक्शन केंद्र सरकार ले सकती है। राज्य सरकार की इसमें ज्यादा भूमिका नहीं है लेकिन अभी केंद्र सरकार द्वारा सीएए के लागू होने के बाद स्थितियां बदली है। पड़ोसी देश के कुछ अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी।
कोर्ट को यह भी बताया गया था कि साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, गोड्डा व जामताड़ा आदि क्षेत्र में अवैध प्रवासी (बांग्लादेशी घुसपैठियों) की संख्या बढ़ती जा रही है। यह लोग ट्राइबल आबादी को बहुत ज्यादा प्रभावित कर रहे हैं। इसलिए झारखंड में बसे बांग्लादेशियों पर अंकुश लगाने की जरूरत है।
याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा है कि जामताड़ा, पाकुड़, गोड्डा, साहिबगंज आदि झारखंड के बॉर्डर इलाके से बांग्लादेशी घुसपैठिए झारखंड आ रहे हैं। इससे इन जिलों में जनसंख्या में कुप्रभाव पड़ रहा है। इन जिलों में बड़ी संख्या में मदरसा स्थापित किया जा रहा है। साथ ही स्थानीय ट्राइबल के साथ वैवाहिक संबंध बनाया जा रहा है।