
News India Live, Digital Desk: Ashadha Masik Durgashtami 2025: हर माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन मां दुर्गा के सभी रूपों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। खासकर आषाढ़ मास की दुर्गाष्टमी का महत्व बहुत खास माना जाता है, क्योंकि यह शक्ति और ऊर्जा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण दिन होता है। साल 2025 में, आषाढ़ मास की मासिक दुर्गाष्टमी जुलाई में पड़ रही है। आइए जानते हैं कब है यह व्रत, इसका महत्व और मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए पूजा की सही विधि।
कब है आषाढ़ मासिक दुर्गाष्टमी 2025?
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल अष्टमी तिथि 10 जुलाई 2025, गुरुवार को सुबह 9 बजकर 4 मिनट पर शुरू होगी और 11 जुलाई 2025, शुक्रवार को सुबह 7 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन भक्त जन प्रातः काल से ही मां की आराधना में लीन हो जाएंगे।
क्या है इस व्रत का महत्व?
मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से मां दुर्गा बहुत प्रसन्न होती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, घर में सुख-समृद्धि आती है और धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती। यह व्रत मनचाही इच्छाओं की पूर्ति करने और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए भी फलदायी माना जाता है। खासकर, इस दिन मां के महागौरी और कालरात्रि रूपों की विशेष पूजा की जाती है, जो शक्ति और ऊर्जा प्रदान करते हैं।
मां दुर्गा पूजा विधि:
आषाढ़ मासिक दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए आप नीचे दी गई पूजा विधि का पालन कर सकते हैं:
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सुबह उठकर पवित्र स्नान: व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले पवित्र स्नान करें।
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पूजा स्थल की स्वच्छता: घर के पूजा स्थल और मंदिर को अच्छी तरह साफ करें।
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गंगाजल का छिड़काव: पूरे घर में और खासकर पूजा के स्थान पर गंगाजल का छिड़काव करके उसे शुद्ध करें।
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शुभ संकल्प: एक साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें और व्रत का संकल्प लें।
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कलश स्थापना और दीपक: पूजा के लिए कलश स्थापित करें और माता के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
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मां को अर्पण: मां दुर्गा को सिंदूर, रोली, अक्षत (चावल), लाल फूल (गुड़हल विशेष रूप से), फल, और विभिन्न प्रकार की मिठाइयां जैसे हलवा, पूड़ी और चने का भोग लगाएं।
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लाल चुनरी: मां को लाल चुनरी और सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें।
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आरती और मंत्र: दुर्गा चालीसा का पाठ करें और मां की आरती प्रेम और भक्ति भाव से गाएं। मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
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कंजक पूजन: यदि संभव हो, तो पूजा के बाद छोटी कन्याओं (कंजकों) को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा व उपहार देकर उनका आशीर्वाद लें।
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भक्ति भाव: इस पूरे दिन मन में पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भाव रखें। सात्विक भोजन ग्रहण करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
यह व्रत सच्ची निष्ठा और विधि-विधान से करने पर मां दुर्गा की कृपा आप पर अवश्य बनी रहती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।