
News India Live, Digital Desk: Ashadha Amavasya 2025: हमारी संस्कृति में पूर्वजों को याद करना और उनका सम्मान करना कितना महत्वपूर्ण है, यह आषाढ़ अमावस्या हमें फिर से सिखाती है। साल 2025 में, 4 जुलाई को पड़ रही यह अमावस्या सिर्फ एक काली रात नहीं, बल्कि पितरों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद पाने का एक सुनहरा अवसर है। अगर आप अपने पूर्वजों को खुश करना चाहते हैं, या अपनी कुंडली के किसी दोष को शांत करना चाहते हैं, तो यह दिन आपके लिए बेहद खास है।
क्या है आषाढ़ अमावस्या का खास महत्व?
आषाढ़ अमावस्या का दिन पितरों को समर्पित होता है। इस दिन श्राद्ध, तर्पण और दान-पुण्य करने से हमारे पूर्वज प्रसन्न होते हैं और हमें अपना आशीर्वाद देते हैं। माना जाता है कि उनके आशीर्वाद से जीवन में आने वाली कई बाधाएं दूर हो जाती हैं, धन-धान्य की वृद्धि होती है और घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
इसके अलावा, अगर आपकी कुंडली में ‘कालसर्प दोष’ है, तो आषाढ़ अमावस्या उस दोष को शांत करने के लिए भी एक बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। इस दिन विशेष पूजा-पाठ से इस दोष के बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है।
कब है शुभ मुहूर्त (2025)?
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आषाढ़ अमावस्या प्रारंभ: 4 जुलाई 2025, सुबह 04 बजकर 17 मिनट से
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आषाढ़ अमावस्या समाप्त: 5 जुलाई 2025, सुबह 04 बजकर 19 मिनट तक
चूंकि अमावस्या तिथि का उदय 4 जुलाई को हो रहा है, इसलिए सभी शुभ कर्म इसी दिन किए जाएंगे।
क्या करें इस पावन दिन पर?
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पवित्र स्नान और दान: सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें। अगर ऐसा संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान के बाद अपनी क्षमता अनुसार ब्राह्मणों, जरूरतमंदों और गरीबों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करें।
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पितृ तर्पण: अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करें। इसके लिए एक तांबे के लोटे में पानी, काले तिल, कुश और जौ मिलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों को जल अर्पित करें।
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पिंडदान: जो लोग पितरों के लिए पिंड दान करना चाहते हैं, वे इस दिन ब्राह्मणों से विधि-विधान से इसे संपन्न करवा सकते हैं।
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कालसर्प दोष निवारण: अगर आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है, तो इस दिन किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह पर कालसर्प दोष की शांति पूजा करवाएं। नाग-नागिन के जोड़े की पूजा और दान भी लाभकारी हो सकता है।
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जीव-जंतुओं को भोजन: इस दिन कौवे, कुत्ते और गाय को भोजन खिलाना बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि इन्हें पितरों का रूप माना जाता है।
इस आषाढ़ अमावस्या पर आप भी अपने पितरों को याद करें, उनके लिए प्रार्थना करें और इस पावन दिन का पूरा लाभ उठाएं। यह दिन आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लेकर आए, यही हमारी कामना है।
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