
News India Live, Digital Desk: Owaisi’s Question: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर चुनाव आयोग (ECI) के कदमों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने विशेष रूप से बिहार में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची के “विशेष गहन पुनरीक्षण” पर गहरा संदेह व्यक्त किया है। उनका आरोप है कि यह एक ऐसी रणनीति हो सकती है जिसके तहत “चुनिंदा मतदाताओं” के नाम मतदाता सूची से हटाए जाएंगे, जिसका मकसद भाजपा को राजनीतिक फायदा पहुँचाना हो सकता है।
ओवैसी के अनुसार, चुनाव आयोग आमतौर पर हर साल मतदाता सूची का एक बड़ा संशोधन करता है, लेकिन लोकसभा चुनावों के तुरंत बाद और बिहार विधानसभा चुनावों से पहले इस तरह का एक अतिरिक्त “गहन पुनरीक्षण” किया जाना अपने आप में संदिग्ध है। वह इसे मतदाताओं, विशेषकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के अधिकारों पर सीधा हमला मानते हैं।
हैदराबाद से अपनी हार का हवाला देते हुए, ओवैसी ने दावा किया कि उनके संसदीय क्षेत्र में भी इसी तरह की तिकड़मों से हजारों मतदाताओं के नाम हटा दिए गए थे, जिससे चुनाव परिणाम प्रभावित हुए। उन्होंने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों का भी जिक्र किया, जब उनके अनुसार तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में “लाखों मतदाताओं के नाम रहस्यमय तरीके से गायब कर दिए गए,” जिसके बाद चुनाव आयोग ने इसे ‘ऐतिहासिक मतदान’ करार दिया। ओवैसी ने तंज कसते हुए कहा कि असल में ये वे मतदाता थे जो सरकार के खिलाफ वोट डाल सकते थे और जिन्हें जानबूझकर सूची से बाहर कर दिया गया।
कांग्रेस से अपील और भाजपा पर निशाना:
असदुद्दीन ओवैसी ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस पार्टी को, विशेषकर उसके शीर्ष नेतृत्व को, इस मामले को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए। उन्होंने चेताया कि यदि इन गतिविधियों को नजरअंदाज किया गया तो बिहार में ‘बड़ा नुकसान’ हो सकता है और इसका सीधा लाभ भाजपा को मिलेगा। उन्होंने खासकर सीमांचल क्षेत्र पर फोकस करने की बात कही, जहाँ मुस्लिम आबादी का घनत्व अधिक है। उनका मानना है कि इन क्षेत्रों से जानबूझकर बड़ी संख्या में नाम हटाने का प्रयास किया जा सकता है।
ओवैसी का यह बयान राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छेड़ रहा है कि क्या आगामी चुनावों को प्रभावित करने के लिए मतदाता सूची में कोई हेरफेर किया जा रहा है या यह केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का हिस्सा है।
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