ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया है । फिर पाकिस्तान ने भारत पर हमला करने की कोशिश की। इसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। लोग लगातार जानना चाहते हैं कि सीमा पर क्या हो रहा है। सोशल मीडिया पर इस समय कई तरह के वीडियो और फोटो वायरल हो रहे हैं।
इनमें से कुछ खबरें सच नहीं होतीं और ऐसी खबरें लोगों के मन में डर पैदा करती हैं। सोशल मीडिया पर झूठी अफवाहें फैलाई जाती हैं, जिससे आम लोग अपनी सुरक्षा के बारे में सोचने लगते हैं। इस स्थिति से मानसिक तनाव बढ़ता है।
विशेषज्ञों के अनुसार युद्ध का भय मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इसके कारण तनाव और चिंता की समस्या बढ़ जाती है। इस समस्या को युद्ध चिंता कहा जाता है। इस स्थिति में युद्ध की खबरों से मन में लगातार चिंता और भय बना रहता है। यहां तक कि सुरक्षित स्थान पर रहने वाले लोग भी चिंता का अनुभव कर सकते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में कई ऐसे युद्ध हुए हैं जिनमें लोगों को युद्ध की चिंता के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ा है। युद्ध की भयावह परिस्थितियां पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर जैसी स्थितियां पैदा कर सकती हैं। जिसका असर लोगों के दिमाग पर लंबे समय तक रह सकता है। युद्ध की चिंता किसी को भी हो सकती है। युद्ध की चिंता धीरे-धीरे आपके मन पर हावी हो जाती है। लगातार इसके बारे में सोचने और समाचार देखने से चिंता बढ़ती है और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है।
युद्ध की चिंता के लक्षण
युद्ध की चिंता के कारण युद्ध की खबर सुनकर घबराहट होती है, हृदय गति बढ़ जाती है, स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है और तनाव के कारण चक्कर आने लगते हैं। इस स्थिति में कई लोगों को घबराहट के दौरे भी पड़ सकते हैं।
युद्ध की चिंता से बचने के लिए क्या करें?
– सोशल मीडिया का उपयोग कम करें। केवल विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर ही ध्यान दें।
– अच्छा मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए योग और ध्यान का अभ्यास करें।
– परिवार के साथ समय व्यतीत करो।
– यदि आप चिंतित या घबराए हुए महसूस करें तो तुरंत पेशेवर मदद लें।