प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। हार्मोनल बदलाव के कारण महिला अपने शरीर में ही नहीं, बल्कि मूड में भी कई परिवर्तन महसूस करती है, जिसे आमतौर पर मूड स्विंग्स कहा जाता है। यह बदलाव शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों में होते हैं, और कभी-कभी महिला को तनाव और चिड़चिड़ापन का अनुभव भी हो सकता है। खास बात यह है कि गर्भवती महिला का मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य उसके गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पर गहरा असर डालता है। यही वजह है कि डॉक्टर और परिवार के सदस्य गर्भवती महिला को खुश रहने और अपनी देखभाल करने की सलाह देते हैं। हालांकि, कभी-कभी हार्मोनल बदलाव के कारण महिला को ज्यादा तनाव और गुस्सा भी महसूस हो सकता है। यदि आपको भी ऐसा महसूस होता है, तो जानें गर्भावस्था के दौरान गुस्से और तनाव का शिशु पर क्या असर पड़ता है और इसे कैसे नियंत्रित किया जा सकता है।
गर्भावस्था के दौरान गुस्से में रहने से शिशु के मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। शिशु का नर्वस सिस्टम गर्भ के छठे महीने से विकसित होने लगता है, और वह मां की हर भावना को महसूस कर सकता है। यदि गर्भवती महिला अक्सर गुस्से में रहती है, तो इसके परिणामस्वरूप बच्चे में जन्म के बाद व्यवहार संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
अत्यधिक तनाव और गुस्से के कारण महिला के शरीर में कोर्टिसोल और एड्रेनालिन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। ये हार्मोन न केवल मां के शरीर में तनाव बढ़ाते हैं, बल्कि प्लेसेंटा के माध्यम से बच्चे तक पहुंचकर उसकी हार्टबीट को तेज कर सकते हैं, जिससे बच्चे के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
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गुस्से की स्थिति में महिला के शरीर में तनाव हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जो बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकता है। यह बच्चे के मूड, नींद और विकास में बाधाएं उत्पन्न कर सकता है।
कभी-कभी अधिक गुस्सा और तनाव के कारण असमय डिलीवरी या बच्चे का कम वजन होने का खतरा भी बढ़ सकता है।
गर्भावस्था में गुस्से को नियंत्रित करने के उपाय
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योग और ध्यान से मानसिक शांति प्राप्त की जा सकती है, जो गुस्से को कम करने में मददगार होते हैं। आप डॉक्टर से सलाह लेकर हल्के योगासन को अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकती हैं।
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बैलेंस और पौष्टिक आहार का सेवन मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखता है, जिससे तनाव और गुस्से को कम किया जा सकता है।
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शारीरिक और मानसिक रूप से आराम पाने के लिए हल्की मालिश करें। यह आपको तनाव से मुक्त करने में मदद करेगी।
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गर्भवस्था के दौरान पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी है। नींद की कमी से चिड़चिड़ापन और गुस्सा बढ़ सकता है, इसलिए पर्याप्त आराम करें।