American expert’s attack on Khalistanis: बोलीं – मोदी का कनाडा G7 जाना ‘मास्टरस्ट्रोक’

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कनाडा में होने वाले G7 शिखर सम्मेलन से पहले, एक जानी-मानी अमेरिकी सुरक्षा विशेषज्ञ, डॉ. क्रिस्टीन फेयर ने खालिस्तानी गतिविधियों की कड़ी निंदा की है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस सम्मेलन में शामिल होने के फैसले को ‘साहसिक’ और ‘मास्टरस्ट्रोक’ बताया है। यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत और कनाडा के संबंधों में खालिस्तानी समर्थक तत्वों के कारण काफी तनाव देखा जा रहा है।

डॉ. फेयर ने खालिस्तानी आंदोलन को ‘एक धोखा’ और ‘एक घोटाला’ बताते हुए स्पष्ट किया कि कनाडा को अपनी धरती पर पनप रही इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को ‘कमजोर नेता’ करार देते हुए उन पर इस गंभीर मुद्दे को गंभीरता से न लेने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ट्रूडो कनाडा की जमीन से होने वाली चरमपंथी गतिविधियों को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे हैं।

G7 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी की उपस्थिति को महत्वपूर्ण बताते हुए, डॉ. फेयर ने कहा कि यह सिर्फ मुलाकात से कहीं बढ़कर है। उन्होंने इसे ‘एक मास्टरस्ट्रोक’ कहा क्योंकि इससे प्रधानमंत्री मोदी भारतीय राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दे रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की स्थिति मजबूत हो रही है। उनके मुताबिक, कनाडा को भारत से अधिक व्यापारिक और कूटनीतिक सहयोग की आवश्यकता है, न कि इसका उलटा। फेयर ने कहा कि भारत को अपनी अर्थव्यवस्था चलाने के लिए कनाडा की जरूरत नहीं है, बल्कि कनाडा की अर्थव्यवस्था के लिए भारत एक बड़ा बाजार और साझीदार है।

निज्जर हत्या मामले पर भी उन्होंने बात की, जिसमें कनाडा ने भारत पर आरोप लगाए थे। फेयर ने साफ कहा कि कनाडा ने आज तक अपने आरोपों को साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया है। उन्होंने जोर दिया कि भारत ने अपनी सुरक्षा और संप्रभुता के मामलों में हमेशा एक मजबूत रुख अपनाया है और बाहरी ताकतों को अपनी जमीन पर सक्रिय होने नहीं देगा।

क्रिस्टीन फेयर ने कनाडा को खालिस्तानियों के मुद्दे पर ‘गंभीर नहीं’ बताया। उन्होंने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि कनाडा का रवैया ऐसा है ‘जैसे कि वे अपनी कॉफी में कुकीज़ डुबो रहे हों’ – यानी वे इस मामले को बिल्कुल भी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, जबकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। डॉ. फेयर का यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत और कनाडा के संबंधों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं, और यह कनाडा पर अपनी जमीन से हो रही चरमपंथी गतिविधियों से निपटने का दबाव और बढ़ाएगा।