पंचायती माध्यम से सुलझाने गए ज़मीनी विवाद के दौरान लगे रंगदरी का आरोप

जमीनी विवाद को पंचायती के माध्यम से सुलझाने गए पिनू डॉन पर ही लग गया रंगदारी का आरोप

एक मामले में गिरफ्तार रवि उर्फ पीनू डॉन को कई अन्य मामलों में फंसाने की साजिश में शामिल कथित पत्रकार और भूमाफिया

बेतिया। बेतिया में कुछ दिन पहले एक मामला सामने आया जिसमें कारोबारी निर्मल कुमार द्वारा रवि उर्फ पिन्नू के खिलाफ एक आरोप लगाया गया की पीनू द्वारा अन्य दबंग को लेकर मेरे दरवाजे पर आकर रंगदारी की मांग की गई। लेकिन इस मामले की हकीकत कुछ और ही है। अब आप समझिए पूरा मामला क्या है..?

मामला यह है कि बैरिया क्षेत्र के संत घाट में निर्मल कुमार का जमीन जो 20 कट्ठा से ऊपर है उसको 2017 में ढाई करोड़ रुपए में वकील मियां एवं अन्य व्यक्तियों के नाम पर महादा किया गया है। दूसरी तरफ उसी जमीन पर किसी और से भी बाद विवाद चल रहा होता है। जब यह विवाद 2024 के लास्ट में खत्म हो जाता है तो वहीं जमीन निर्मल कुमार द्वारा दूसरे दो व्यक्तियों को एग्रीमेंट कर दी जाती है अब मामला यह है कि जिस जमीन पर ढाई करोड़ के करीब पैसा शकील मियां और अन्य द्वारा दिया गया था। उसी जमीन के लिए इतने वर्षों इंतजार किया गया उसके बाद जमीन पर विवाद खत्म हो जाने पर दूसरे व्यक्ति को महादा क्यों कर दिया गया …?

इसी को लेकर निर्मल कुमार के दुकान पे कई लोग पहुंचे जिसके बाद शंकर वस्त्रालय के मालिक टाऊन थाना रंगदारी मांगने के आवेदन के साथ पहुंचे जिसके बाद टाऊन थाना अध्यक्ष मनोज सिंह ने अपने स्तर से जांच कराई तो पता चला भूमि विवाद से जुड़ा मामला है जिसके बाद उनके द्वारा संबंधित थाना बैरिया को आवेदन लेने को कहा क्योंकि जमीन बैरिया थाना क्षेत्र के संत घाट में है जिसके निर्मल कुमार के घर पर एक पंचायती बैठाई गई जिसमें पंच के तौर पर रवि उर्फ पिन्नू को भी बुलाया गया था उसी का सीसीटीवी फुटेज रिकॉर्डिंग वायरल किया गया है। ध्यान देने वाली बात यह है कि रवि उर्फ पिन्नू उस पंचायती में खुद से गए नहीं थे उन्हें बुलाया गया था। एक जमीन को दो लोगों के साथ कैसे महादा कर दिया गया जबकि एक व्यक्ति इस जमीन के लिए ढाई करोड रुपए देकर वर्षों से इंतजार किया हो और जमीन का विवाद खत्म हो जाने के बाद इस जमीन के मालिक द्वारा दूसरे को एग्रीमेंट कर दिया जाता है। ऐसे जमीन मालिक पे करवाई क्यों नहीं हो रही जो भूमि विवाद को बढ़ावा दे रहे हैं
और यही सब कारण है जिससे भूमि विवाद जिला में लगातार बढ़ता दिख रहा है और यही विवाद मारपीट और बाद में हत्या में बदल जाता है। इस तरह के ज्यादातर मामले में हत्या भूमि विवाद को ही लेकर हो रही है।

ऐसा ही एक मामला बैरिया थाना क्षेत्र के नाथ बाबा चौक का है जहां जमीन के एग्रीमेंट की एवज में चार करोड़ रुपए देकर 12 वर्षों तक इंतजार किया गया और उस जमीन पर जब पाटीदारों से विवाद खत्म हुआ तो मालिक द्वारा इधर कुछ महीना पहले दूसरे पक्ष को एग्रीमेंट कर दिया गया है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर भूमाफिया कितने सक्रिय हैं इस जिले में की एक जमीन को पहले से एग्रीमेंट होने के बावजूद भी इतना प्रलोभन देकर उसी जमीन को दोबारा एग्रीमेंट करा ले रहे हैं।

देखा जाए तो इसका मतलब यह है की जिसकी लाठी उसकी भैंस होगी इसी तर्ज पर भू माफियाओं द्वारा एक ही जमीन को दो बार लिखने के लिए जमीन मालिक को प्रलोभन देकर लिखवा लिया जा रहा है जो जिले में जमीनी विवाद को बढ़ावा दे रहा है। क्या एक ही जमीन जो पहले दूसरे के नाम से एग्रीमेंट है या महादा है वहीं दूसरे उसी व्यक्ति द्वारा दूसरे से महादा कैसे हो जा रहा है….?क्या इसमें रजिस्ट्री ऑफिस इस तरह के फर्जीवाड़े पर रोक लगाने में असमर्थ है क्या….? अगर समय रहते ऐसे भूमाफियाओं को चिन्हित कर कार्रवाई नहीं की गई तो जिला में भू माफियाओं का बोलबाला इतना हो जायेगा कि आए दिन हत्याएं और मारपीट होती रहेंगी।
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