प्रयागराज: वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग मामले में हिंदू पक्ष को बड़ी जीत मिली है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग यानी वैज्ञानिक सर्वेक्षण की इजाजत दे दी। एक दिन पहले एएसआई ने हाईकोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें कहा गया था कि शिवलिंग को बिना नुकसान पहुंचाए उसका वैज्ञानिक सर्वेक्षण पांच तरह से किया जा सकता है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वेक्षण के दौरान मिले शिवलिंग के वैज्ञानिक सर्वेक्षण और कार्बन डेटिंग की मांग वाली याचिका को स्वीकार कर लिया है और एएसआई को ‘शिवलिंग’ को नुकसान पहुंचाए बिना कार्बन डेटिंग करने का आदेश दिया है।
ज्ञानवापी परिसर में यथास्थिति बनाए रखने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद वाराणसी की जिला अदालत ने कार्बन डेटिंग कराने से मना कर दिया था। कोर्ट के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट के इस आदेश को रद्द कर दिया गया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अरविंद कुमार मिश्रा ने लक्ष्मी देवी और अन्य द्वारा दायर याचिका पर आदेश पारित किया।
अब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को ज्ञानवापी परिसर में पाए गए शिवलिंग की आयु, प्रकृति और संरचना का निर्धारण करने के लिए वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है। उच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को आईआईटी रुड़की, आईआईटी कानुपर और बीएसआईपी लखनऊ द्वारा प्रस्तुत वैज्ञानिक रिपोर्ट के आधार पर ज्ञानवापी परिसर में पाए गए शिवलिंग की आकृति का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है।
गौरतलब है कि आयोग की कार्रवाई ज्ञानवापी परिसर में हुई थी। इसी दौरान 16 मई 2022 को परिसर में कथित शिवलिंग मिला, जिसे लेकर हिंदू पक्ष ने एएसआई से वैज्ञानिक सर्वे कराने की मांग की.