Alimony Taxation Rules: आजकल तलाक के मामलों में पति को न केवल गुजारा भत्ता देना पड़ता है बल्कि कई बार उसे अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा भी पत्नी को सौंपना पड़ता है। गुजारा भत्ता आमतौर पर आर्थिक रूप से कमजोर पार्टनर, विशेष रूप से पत्नी, को दिया जाता है ताकि वह अपना खर्च चला सके और वित्तीय रूप से सुरक्षित रह सके। लेकिन एक महत्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि क्या पत्नी को इस राशि या संपत्ति पर टैक्स देना होगा? आइए जानते हैं कि भारतीय कर प्रणाली में गुजारा भत्ते को लेकर क्या नियम हैं।
गुजारा भत्ता पर कर नियम
तलाक के बाद पत्नी को मिलने वाले गुजारा भत्ते पर टैक्स लगेगा या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि यह राशि किस रूप में दी जा रही है। भारतीय आयकर अधिनियम के तहत, तलाक के बाद पत्नी को मिलने वाला गुजारा भत्ता आम तौर पर कर योग्य आय नहीं माना जाता है। हालांकि, कुछ परिस्थितियों में इस पर कर लगाया जा सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, गुजारा भत्ता की करयोग्यता इस बात पर निर्भर करती है कि इसे किस रूप में दिया जाता है। यह मुख्य रूप से तीन तरीकों से दिया जाता है:
- एकमुश्त भुगतान
- नियमित मासिक या वार्षिक भुगतान
- संपत्ति का हस्तांतरण
इन सभी स्थितियों में कर नियम अलग-अलग होते हैं।
1. एकमुश्त भुगतान:
यदि गुजारा भत्ता एकमुश्त राशि के रूप में दिया जाता है, तो इसे आम तौर पर कर-मुक्त माना जाता है। ऐसी राशि को “पूंजी प्राप्ति” (Capital Receipt) माना जाता है और इसे आय के रूप में नहीं गिना जाता है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने राजकुमारी माहेश्वरी देवी बनाम सीआईटी (1983) मामले में यह स्पष्ट किया था कि एकमुश्त गुजारा भत्ता आय के बजाय पूंजीगत संपत्ति के हस्तांतरण के रूप में देखा जाएगा। हालांकि, अगर यह भुगतान किसी आपसी समझौते के तहत किया जाता है, तो इसे कानूनी चुनौती दी जा सकती है।
2. नियमित मासिक या वार्षिक भुगतान:
यदि तलाक के बाद पत्नी को हर महीने या सालाना गुजारा भत्ता मिलता है, तो इसे पूंजीगत प्राप्ति नहीं माना जाता, बल्कि इसे “आय” की श्रेणी में गिना जाता है और इस पर कर लगाया जाता है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने ACIT बनाम मीनाक्षी खन्ना मामले में यह फैसला सुनाया था कि अगर पत्नी मासिक गुजारा भत्ते की जगह एकमुश्त राशि लेती है, तो उस पर कर नहीं लगेगा। लेकिन अगर यह राशि नियमित रूप से मिलती है, तो इसे “अन्य स्रोतों से आय” (Income from Other Sources) माना जाएगा और पत्नी को इस पर टैक्स देना होगा।
3. संपत्ति के हस्तांतरण के रूप में:
अगर तलाक के दौरान या उससे पहले पति अपनी संपत्ति पत्नी के नाम पर ट्रांसफर करता है, तो इसकी कर स्थिति इस पर निर्भर करती है कि यह हस्तांतरण कब किया गया।
- तलाक से पहले: यदि तलाक से पहले संपत्ति हस्तांतरित की जाती है, तो इसे उपहार (Gift) माना जाएगा और यह कर-मुक्त होगी। हालांकि, इस संपत्ति से होने वाली आय (जैसे किराया) उस व्यक्ति की आय में जोड़ी जाएगी जिसने यह संपत्ति हस्तांतरित की है।
- तलाक के बाद: तलाक के बाद पति और पत्नी “रिश्तेदारों” की श्रेणी में नहीं आते। ऐसे में यदि संपत्ति तलाक के बाद हस्तांतरित की जाती है, तो यह कर योग्य होगी। साथ ही, इस संपत्ति से उत्पन्न होने वाली किसी भी आय पर भी कर लगेगा।
तलाक के बिना गुजारा भत्ता:
अगर पति-पत्नी बिना तलाक लिए अलग-अलग रहते हैं और पत्नी को गुजारा भत्ता दिया जाता है, तो उसकी कर स्थिति इस बात पर निर्भर करती है कि यह भुगतान किस आधार पर किया जा रहा है।
- यदि यह भुगतान किसी अदालती आदेश या लिखित समझौते का हिस्सा है, तो इसे कर योग्य माना जाएगा।
- यदि यह बिना किसी कानूनी घोषणा के दिया जाता है, तो इसे उपहार माना जाएगा और इस पर कर छूट मिलेगी।
क्या गुजारा भत्ता देने वाले व्यक्ति को कर छूट मिलती है?
इसका उत्तर है नहीं। गुजारा भत्ता देने वाले पति को इस पर कोई कर छूट नहीं मिलती। बॉम्बे हाई कोर्ट के एक फैसले के मुताबिक, पति के वेतन से सीधे पत्नी को दी जाने वाली राशि भी पति की आय में गिनी जाएगी और उस पर कर लगेगा। इसे व्यक्तिगत दायित्व माना जाता है और कर छूट के रूप में इसका कोई लाभ नहीं लिया जा सकता।
कानूनी परिप्रेक्ष्य और विशेषज्ञों की राय
वर्तमान में आयकर अधिनियम, 1961 में गुजारा भत्ता पर कर लगाने के बारे में कोई स्पष्ट नियम नहीं हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट ने 1983 में सुझाव दिया था कि इस पर स्पष्ट नियम बनाए जाने चाहिए। हालांकि, अब तक इस दिशा में कोई ठोस बदलाव नहीं हुआ है।
हर तलाक का मामला अलग होता है, इसलिए गुजारा भत्ते पर कर की स्थिति को तय करने के लिए अदालत के फैसलों और कर विशेषज्ञों की राय पर निर्भर रहना पड़ता है।