ज्योतिष शास्त्र में शनि को सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है। शनि को एक ग्रह से दूसरे ग्रह में जाने में ढाई वर्ष का समय लगता है। आपको बता दें कि इस साल 17 जनवरी को शनि अपनी ही राशि में गोचर कर रहा है और 17 जून को कुम्भ राशि में ही वक्री होने जा रहा है। शनि इसी स्थिति में 4 नवंबर तक रहेगा। इस बीच शनि की दशा के कारण केंद्र त्रिकोण राजयोग बन रहा है।
ज्योतिष शास्त्र में इसे शुभ राजयोग माना गया है। कुंडली में जब 3, 4, 7, 10 और 1, 5, 9 जैसे त्रिकोण जुड़ते हैं तो केंद्र त्रिकोण राजयोग बनता है। जिसमें मां लक्ष्मी को त्रिकोण की देवी और भगवान विष्णु को केंद्रीय देवता के रूप में जाना जाता है। मध्य त्रिकोण राजयोग भाग्य वृद्धि करने वाला माना जाता है। इस दौरान जातक को सरकारी लाभ और नौकरी में उच्च पद की प्राप्ति होती है।
इस राशि के जातकों को शनि लाभ देंगे
TAURUS
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंभ राशि में शनि की वक्री स्थिति नौकरी में सकारात्मक बदलाव देगी। इस बीच आपको नौकरी के बेहतर विकल्प मिलेंगे। इस अवधि में इन लोगों को सुख-समृद्धि और वैभवपूर्ण जीवन की प्राप्ति होगी। इस समय निवेश करना आपके लिए उत्तम रहेगा। ऑफिस में कोई नई जिम्मेदारी मिल सकती है। आय में वृद्धि होगी।
मिथुन राशि
कुंभ राशि में शनि की वक्री स्थिति इस राशि के जातकों के लिए अनुकूल रहेगी। आपको बता दें कि आपकी कुंडली के नवम भाव में केंद्र त्रिकोण से राजयोग बनेगा। इस दौरान जातक को भाग्य का पूरा साथ मिलेगा। लंबी दूरी की यात्रा का अवसर प्राप्त होगा जो भविष्य में आपके लिए लाभदायक रहेगा। यदि आप किसी भी प्रकार के शोध कार्य से जुड़े हैं तो यह अवधि आपको उत्कृष्ट परिणाम देगी। वहीं दूसरी ओर अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं तो आपको अच्छे परिणाम की प्राप्ति होगी। मनचाही नौकरी मिलने के पूरे योग हैं।
लियो
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस राशि के लोगों के लिए शनि की साढ़ेसाती बहुत फायदेमंद रहेगी। नियमित प्रयास से सफलता मिलेगी। आपकी कुंडली में छठा भाव शनि द्वारा शासित है। इस दौरान आपको पैसे बचाने में सफलता मिलेगी। पुराने रोगों से मुक्ति मिल सकती है। नौकरीपेशा लोगों के लिए इंक्रीमेंट के अवसर बन रहे हैं।