आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल द्वारा दिल्ली में पंजाब के विधायकों की मीटिंग बुलाए जाने के कारण 10 फरवरी को टाली गई पंजाब कैबिनेट की बैठक आज (13 फरवरी) सीएम भगवंत मान की अध्यक्षता में चंडीगढ़ में हुई। इस बैठक में सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए विभिन्न विभागों में 3,000 पदों पर भर्ती का ऐलान किया। इनमें से 2,000 पद पीटीआई शिक्षकों के होंगे, जबकि स्वास्थ्य विभाग में 822 पदों पर भर्ती की जाएगी। इसके अलावा, एनआरआई मामलों को हल करने के लिए 6 नई अदालतें बनाई जाएंगी।
2028 तक छठे वेतन आयोग का बकाया चुकाने की योजना
कैबिनेट बैठक के बाद पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत वेतन बकाया का भुगतान विभिन्न चरणों में 2028 तक किया जाएगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यदि बजट में प्रावधान हो जाता है, तो इसका भुगतान पहले किया जाएगा।
इसके साथ ही, पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र 24 और 25 फरवरी को बुलाया गया है, जिसमें लंबित बिलों और अन्य महत्वपूर्ण विधायकों पर चर्चा की जाएगी। चीमा ने यह भी बताया कि आम आदमी पार्टी सरकार अब तक 50,000 से ज्यादा पदों पर भर्ती कर चुकी है, जिससे राज्य में युवाओं को रोजगार मिल रहा है, और अब और नए पद सृजित किए जा रहे हैं।
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अहमदाबाद के लिए मांग
हरपाल सिंह चीमा ने यह भी कहा कि जो लोग अमेरिका से डिपोर्ट होकर पंजाब लौटे हैं, उनके मामलों में अब ट्रैवल एजेंटों पर कार्रवाई की जा रही है। जब उनसे पूछा गया कि 15 फरवरी को एक और विमान अमृतसर पहुंचेगा, तो उन्होंने कहा कि केंद्र की बीजेपी सरकार पंजाबियों से नफरत करती है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि इस विमान को अमृतसर के बजाय गुजरात के अहमदाबाद ले जाया जाए, क्योंकि जहाज में पंजाब के लोग कम होते हैं और अधिकांश अन्य राज्यों से होते हैं।
चार महीने बाद हुई कैबिनेट बैठक, वादों को पूरा करने का दबाव
दिल्ली में सत्ता गंवाने के बाद आम आदमी पार्टी का पंजाब राज्य ही बचा है, जहां उसकी सरकार है। ऐसे में यह बैठक अहम थी। सरकार ने अभी तक महिलाओं को 1,000 रुपये प्रति माह देने की गारंटी पूरी नहीं की है। सीएम मान ने दिल्ली में बैठक के बाद कहा था कि यह गारंटी जल्द ही पूरी की जाएगी। पंजाब सरकार ने पिछले चार महीनों में कोई कैबिनेट बैठक नहीं की थी। 8 अक्टूबर 2024 के बाद से लगातार कैबिनेट मीटिंग टल रही थी क्योंकि पार्टी दिल्ली चुनावों में व्यस्त थी और नेताओं को ऐसा कोई निर्णय नहीं लेना था जो जनता की नाराजगी का कारण बने। अब जब दिल्ली में सत्ता हाथ से निकल गई है, तो आप सरकार अपने पुराने वादों को पूरा करने में सक्रिय हो गई है।