कोलकाता, 03 दिसंबर (हि.स.)। कलकत्ता हाई कोर्ट की एकल पीठ ने मंगलवार को कहा कि अगर प्रदर्शन या रैलियों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया या सरकारी कर्मियों पर हमला हुआ, तो भविष्य में ऐसे प्रदर्शनों पर अदालत नियंत्रण लगा सकती है।
न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए एक स्वतंत्र संस्था को पांच दिसंबर को कोलकाता के रानी रासमणि रोड पर प्रदर्शन की अनुमति दी। यह प्रदर्शन बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे हमलों और अत्याचारों के खिलाफ किया जाएगा।
न्यायमूर्ति घोष ने स्पष्ट किया कि अगर इस प्रदर्शन के दौरान किसी प्रकार की तोड़फोड़ या सरकारी कर्मियों पर हमला होता है, तो भविष्य में अदालत ऐसे आयोजनों पर नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन के दौरान ऐसी घटनाएं अक्सर जनहित का ध्यान आकर्षित करने के लिए की जाती हैं, जिसे अदालत किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगी।
इस प्रदर्शन में करीब दो हजार 500 लोग शामिल होने की संभावना है। चूंकि आयोजन स्थल पूर्वी कमान के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए आयोजकों ने सेना और कोलकाता पुलिस से अनुमति ली थी। कोलकाता पुलिस ने साफ कर दिया था कि अगर सेना अनुमति देती है तो उन्हें कार्यक्रम पर कोई आपत्ति नहीं होगी। इसके बाद हाई कोर्ट ने प्रदर्शन की अनुमति दी, लेकिन साथ ही चेतावनी भी दी।