भोपाल, 29 नवंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मुस्लिम समाज से सबसे बड़े धार्मिक आयोजन आलमी तब्लीगी इज्तिमा शुक्रवार को सुबह फजर की नमाज के बाद शुरुआत हो गई है। इसके बाद सुबह से देर शाम देश के अलग-अलग हिस्सों से आए जानकारों ने तकरीरें (उपदेश) दीं। इनमें महिलाओं के लिए कुरआन में की गई ताकीद का जिक्र किया गया। उलेमाओं ने कहा कि इस्लाम में महिलाओं को खास एहतराम, हुकूक और उसके लिए खास दर्जे रखे गए हैं। औरत मां, बहन, बीवी और बेटी के रूप में कई तरह से लोगों की जिंदगी को संवारती है।
भोपाल में ईंटखेड़ी इलाके का ग्राम घासीपुरा में आयोजित यह इज्तिमा दो दिसंबर तक चलेगा। इज्तिमा का यह 77वां साल है। इसमें देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग आए हैं, जिसमें मुख्य रूप से राजस्थान, बिहार, हिमाचल, कश्मीर, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु के अलावा विदेशों से आईं जमातें भी शामिल हैं। यहां एक बड़ा हिस्सा इज्तिमागाह में तब्दील है। शुक्रवार सुबह फजिर की नमाज के बाद यहां शुरू हुआ बयान और तकरीर का दौर अब सतत चार दिन तक चलता रहेगा।
दुनिया में जो आया है, उसे लौटकर अल्लाह के पास जाना हैः मौलाना सआद
पहले दिन सुबह फजिर की नमाज के बाद यहां दोपहर में खानपान और जौहर की नमाज से फारिग होने के बाद यहां खास बयान हुए। शाम को असीर की नमाज के बाद हुए मुख्तसिर बयान में कहा कि जमातों में निकलना और लोगों को अच्छी बात सिखाना अल्लाह की रजा का रास्ता है। शाम को मगरिब की नमाज के बाद दिल्ली मरकज से आए मौलाना सआद साहब कांधलवी ने बयान किया। उन्होंने विस्तार से बात करते हुए कहा कि दुनिया में जो आया है, उसे लौटकर अल्लाह के पास जाना है। आसमान पर एक दुनिया है, जिसकी जिंदगी का कोई अंत नहीं है। रात तक चले इस बयान के बाद नमाज-ए-ईशा अदा की गई।
सादगी से हुए सैकड़ों निकाह
77वें आलमी तब्लीगी इज्तिमा के पहले दिन इज्तिमा गाह पर सादगी के साथ सैकड़ों निकाह कराए गए। दुल्हन की रजामंदी साथ लेकर पहुंचे परिजन और दूल्हा यहां बिना घोड़ी, बारात और आतिशबाजी के पहुंचे। मौलाना सआद साहब ने इनका निकाह पढ़ाया। लाखों लोगों की मौजूदगी में हुई इन नए जोड़ों की शादीशुदा जिंदगी की कामयाबी के लिए हर तरफ से आमीन की आवाज़ें गूंज उठीं।
दुनिया भर से आए जमाती
77वें आलमी तब्लीगी इज्तिमा में शिरकत के लिए मोरक्को, म्यांमार, सऊदी अरब, किरगिस्तान, बांग्लादेश, जर्मनी, मलेशिया, उज्बेकिस्तान, सूडान, इजिप्ट, फ्रांस, केन्या, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, अमेरिका, यूके, इराक सहित अन्य देशों से जमाती भोपाल पहुंच चुके हैं। इन देशों से आए मुसलमान इस धार्मिक आयोजन में शामिल होकर अल्लाह से दुआ करेंगे और इस्लामिक शिक्षा ग्रहण करेंगे।
इज्तिमा कमेटी के मीडिया को-ऑर्डिनेटर डॉ. उमर हफीज ने बताया कि इस बार करीब 600 एकड़ एरिया में इज्तिमा की व्यवस्थाएं की गई हैं, जिसमें 300 एकड़ में पार्किंग, 100 एकड़ में पंडाल और 200 एकड़ में अन्य व्यवस्थाएं, जैसे फूड जोन, वुज़ू खाना, वॉशरूम आदि शामिल हैं। इसके अलावा यहां एलोपैथिक, आयुर्वेदिक, यूनानी पद्धतियों से इलाज के लिए कई मेडिकल कैंप भी लगाए गए हैं। आलमी तब्लीगी इज्तिमा के दौरान शामिल होने वाले लाखों जमातियों में बुजुर्ग और बीमार भी होते हैं। इसके मद्देनजर किसी भी मेडिकल इमरजेंसी के लिए पहली बार बाइक एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई है।
इस बार इज्तिमा को सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त किया गया है। पानी की बोतल को छोड़कर अन्य सभी सिंगल यूज प्लास्टिक बैन रहेगा। पानी की बोतलों को तुरंत इकट्ठा किया जाएगा। डॉ. उमर हफीज ने बताया कि हर साल हम इज्तिमा में पर्यावरण से संबंधित पहलुओं पर कुछ नया करने की कोशिश करते हैं। पिछले साल हमने आयोजन स्थल को डस्ट-फ्री बनाया था और इस लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल भी किया था। साथ ही, कचरा निस्तारण का रिकॉर्ड भी बनाया गया था। इज्तिमा समाप्त होने के 24 घंटे के भीतर पूरे क्षेत्र को साफ कर दिया गया था। यहां से मिले रिसाइक्लेबल कचरे को रिसाइक्लिंग प्लांट भेजा गया और डिस्पोजेबल कचरे को डिकंपोज प्लांट में निपटाया गया। दो साल पहले हमने ग्रीन थीम पर काम किया था, जिसमें शाकाहारी भोजन पर जोर दिया गया था। इस बार हमने सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन रखा हैं।
समाप्ति पर सामूहिक दुआ
इज्तिमा का समापन दो दिसंबर को सामूहिक दुआ ए खास से होगा। इस इज्तिमा में दुनिया भर से आए लोग एक साथ इकट्ठा होकर ईश्वर से देश-विदेश में शांति, समृद्धि और मानवता के लिए प्रार्थना करेंगे। यह एक ऐसा अवसर होता है, जब दुनियाभर के मुसलमान एकजुट होते हैं और धर्म के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।