लोक आस्था के महापर्व छठ का औरंगाबाद के देव में विशेष महत्व

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पटना, 02 नवम्बर (हि.स.)। लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर बिहार में लोगों में खासा उत्साह रहता है। बड़ी संख्या में लोग गंगा घाट पर छठ व्रत के अर्ध्य के लिए जाते हैं। बिहार में औरंगाबाद जिले में स्थित देव में भगवान सूर्य का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। यहां छठ व्रत करने का विशेष महत्व है। इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है।

औरंगाबाद का देव सूर्य मंदिर, देवार्क सूर्य मंदिर या केवल देवार्क के नाम से प्रसिद्ध है। यह जिले में देव नामक स्थान पर स्थित एक हिंदू मंदिर है जो देवता सूर्य को समर्पित है। यह सूर्य मंदिर अन्य सूर्य मंदिरों की तरह पूर्वाभिमुख न होकर पश्चिमाभिमुख है। परंपरागत रूप से इसे हिंदू मिथकों में वर्णित कृष्ण के पुत्र साम्ब द्वारा निर्मित बारह सूर्य मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर के साथ साम्ब की कथा के अतिरिक्त यहां देव माता अदिति ने भी पूजा की थी ।

एक कथा के अनुसार, प्रथम देवासुर संग्राम में जब असुरों के हाथों देवता हार गये थे, तब देव माता अदिति ने तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए देवारण्य में छठी मैया की आराधना की थी। तब प्रसन्न होकर छठी मैया ने उन्हें सर्वगुण संपन्न तेजस्वी पुत्र होने का वरदान दिया था। इसके बाद अदिति के पुत्र हुए त्रिदेव रूप आदित्य भगवान ने असुरों पर देवताओं को विजय दिलायी। कहते हैं कि उसी समय से देव सेना षष्ठी देवी के नाम पर इस धाम का नाम देव हो गया और छठ का चलन भी शुरू हो गया।

मंदिर में सामान्य रूप से वर्ष भर श्रद्धालु पूजा के लिए आते रहते हैं। हालांकि, यहां बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में विशेष तौर पर मनाये जाने वाले छठ पर्व के अवसर पर भारी भीड़ उमड़ती है। यहां लगभग प्रत्येक दिन श्रद्धालु के भीड़ का जमावड़ा लगा होता है पर खास कर रविवार को यहां दूर दूर से हवन और पूजन करने के लिए श्रद्धालु आते रहते हैं। मान्यता है की आज तक इस मंदिर से कोई भी याचक खाली हाथ नहीं लौटा और अपने मनोवांछित फल की प्राप्ति करने के तत्पश्चात वो यहां की कार्तिक या चैत्र के छठ पूजा में सूर्य देव को अर्घ भी समर्पण करते हैं।