भारत में प्रसिद्ध मंदिर : भारत कई संस्कृतियों और परंपराओं वाला देश है, जहां आपको कई मंदिर उनके महत्व और कहानियों के साथ मिलेंगे। भारत में सभी देवताओं के प्रसिद्ध मंदिर हैं। इन मंदिरों में देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी भक्त दर्शन के लिए आते हैं, इन मंदिरों के कुछ नियम भी होते हैं जिनका पालन हर किसी को करना पड़ता है। क्या आप जानते हैं कि भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जहां महिलाएं बिना साड़ी और पुरुष बिना धोती के नहीं जा सकते। मंदिर में दर्शन करने आने वाले भक्तों को इन नियमों का पालन करना होगा, तो आइए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में…
उज्जैन का
महाकाल मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है उज्जैन का यह मंदिर महादेव को समर्पित है। इस मंदिर की भस्म आरती दुनिया भर में प्रसिद्ध है और भस्म आरती से लेकर ज्योतिर्लिंग तक, महिलाओं को साड़ी और पुरुषों को धोती पहनना आवश्यक होता है। धोती पहनने के बाद ही दर्शन के लिए गर्भगृह में प्रवेश दिया जाता है।
घृष्णेश्वर मंदिर दौलताबाद
घृष्णेश्वर मंदिर भी बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर दौलताबाद से 10 किमी की दूरी पर स्थित है और इसे अंतिम ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। इस मंदिर का निर्माण अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। इस मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं और पुरुषों को बिना नहाए यहां जाने की अनुमति नहीं है।
तिरूपति बालाजी मंदिर
तिरूपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरूपति जिले में स्थित है। यहां जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णुजी वेंकटेश्वर विराजमान हैं। तिरुमल में होने के कारण तिरूपति बालाजी के मंदिर को तिरुमल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में भी महिलाएं बिना साड़ी पहने और पुरुष बिना धोती पहने तिरूपति बालाजी के दर्शन नहीं कर सकते।
महाबलेश्वर मंदिर
भगवान शिव को समर्पित महाबलेश्वर मंदिर महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां स्थित शिवलिंग स्वयंभू है यानी यहां का शिवलिंग स्वयंभू है। गर्भगृह में स्थित शिवलिंग को महालिंगम कहा जाता है। इस मंदिर में कोई प्रवेश शुल्क नहीं है, लेकिन आप यहां निर्धारित ड्रेस कोड के अनुसार ही भगवान के दर्शन कर सकते हैं।
पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल
पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल के तिरुवनंतपुरम जिले में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, जहां भगवान विष्णु की मूर्ति शेषनाग पर लेटी हुई मुद्रा में स्थापित है। इस मंदिर में प्रतिदिन देश-दुनिया से हजारों-लाखों श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर का निर्माण राजा मार्तण्ड ने करवाया था और इस मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए एक ड्रेस कोड निर्धारित किया गया है। महिलाओं को साड़ी और पुरुषों को धोती पहनना अनिवार्य है।