
दिग्विजय सूर्यवंशी(दाएं) को शरद पवार का करीबी माना जाता है।
ग्राम पंचायत चुनावों में अपना कब्जा जमाने वाली महाविकास अघाड़ी ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी को पटखनी दी है। ‘सांगली मिराज कुपवाड़’ नगर निगम में एक बड़ा सत्ता परिवर्तन हुआ है। इतिहास में पहली बार पार्षदों की पर्याप्त संख्या होने के बावजूद भाजपा अपना मेयर नहीं बना सकी है। पार्टी के 7 में से पांच पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग की है और दो ने अनुपस्थित रहकर रांकापा उम्मीदवार का बाहर से समर्थन कर दिया है।
जिसके बाद पिछले ढाई साल से मेयर के पद पर काबिज भाजपा के धीरज सूर्यवंशी को एनसीपी के दिग्विजय सूर्यवंशी ने हरा दिया है। 78 सीटों की नगर निगम में धीरज को जहां 36 वोट मिले, वहीं दिग्विजय सूर्यवंशी को 39 वोट मिले हैं। बता दें कि सांगली की मेयर गीता सुतार का कार्यकाल 21 फरवरी को समाप्त हो गया था। जिसके बाद मंगलवार सुबह मेयर पद के लिए चुनाव हुए और कुछ ही घंटों में स्थिति स्पष्ट हो गई।
ऐसे सिर्फ 3 वोटों से एनसीपी उम्मीदवार की हुई जीत
बता दें कि सांगली नगर निगम का यह चुनाव राकांपा प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल की प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ था। पिछले ढाई साल से 43 पार्षदों के साथ भाजपा मेयर की कुर्सी पर काबिज थी, लेकिन चुनाव से ठीक पहले 5 उम्मीदवारों ने क्रॉस वोटिंग करते हुए एनसीपी उम्मीदवार को अपना मत दे दिया। वहीं, पिछड़ा वर्ग समिति के अध्यक्ष स्नेहल सावंत के साथ महेंद्र सावंत ने भी दिग्विजय के पक्ष में मतदान किया है। इस तरह 3 वोटों से दिग्विजय की जीत हुई। चुनाव के दौरान दो भाजपा पार्षद अनुपस्थिति भी थे।
नगर निगम में किस पार्टी के पास कितने पार्षद थे
पार्टी | पार्षद |
भाजपा | 43 |
एनसीपी | 15 |
कांग्रेस | 17 |
अन्य | 2 |
कुल पार्षद | 77(एक पार्षद का निधन हो चुका है) |
ऐसे एनसीपी ने भाजपा को दी पटखनी
यह पहले से ही स्पष्ट था कि मेयर-डिप्टी मेयर चुनाव को लेकर सांगली में सत्तारूढ़ भाजपा में फूट है। पार्टी के 9 पार्षद कई बार जॉइंट बैठक में शामिल नहीं हुए थे। बैठक में केवल 30 से 32 नगर सेवक उपस्थित रहते थे। चुनाव से पहले भाजपा ने तीन नगर सेवकों को शहर से बाहर जाने से रोका भी था। जानकारों की माने तो एनसीपी अध्यक्ष जयंत पाटिल ने इस खेमेबाजी का फायदा उठाते हुए सभी पार्षदों से संपर्क किया और इनमें से 7 को अपनी ओर लाने में कामयाब रहे। चुनाव से पहले पार्षदों को खरीदने के आरोप भी बीजेपी की ओर से लगाए गए।