
27 अप्रैल 2025 को एक दुर्लभ संयोग बन रहा है—शनि जयंती और वैशाख अमावस्या एक ही दिन पड़ रही है। यह दिन पितरों को तर्पण देने, पितृ दोष से मुक्ति पाने और शनि की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ माना जा रहा है। जानिए इस दिन किए जाने वाले आसान लेकिन प्रभावशाली उपाय जो जीवन में शांति, ऐश्वर्य और खुशहाली ला सकते हैं।
1. कब है वैशाख अमावस्या और शनि जयंती?
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख अमावस्या 27 अप्रैल 2025 को सुबह 4:18 बजे शुरू होगी और 28 अप्रैल को सुबह 3:58 बजे तक चलेगी। उदया तिथि के अनुसार शनि जयंती और अमावस्या दोनों 27 अप्रैल को ही मनाई जाएंगी।
2. शनि अमावस्या पर पितरों के लिए करें ये उपाय:
प्रातःकाल स्नान: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
पिंड दान: पके हुए चावल से पिंड बनाकर पितरों को अर्पित करें।
दान: इस दिन सत्तू, चप्पल, छाता, घड़ा जैसे उपयोगी वस्तुओं का दान करना अत्यंत पुण्यदायी होता है। इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
सरसों तेल अर्पण: शनि मंदिर जाकर शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाएं। यह शनि दोष को दूर करने में सहायक होता है।
3. पितृ दोष निवारण के विशेष उपाय:
काले तिल का दान: पूजा के बाद किसी मंदिर या ज़रूरतमंदों में काले तिल का दान करें। इससे पितरों को शांति मिलती है और कार्यों में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।
सूर्य अर्घ्य: पवित्र नदी में स्नान के बाद जल में काले तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। यह उपाय पितृ दोष शांति के लिए प्रभावी माना गया है।
दक्षिण दिशा में दीपक: शाम को शुद्ध देसी घी का दीपक जलाकर घर की दक्षिण दिशा में रखें और पितरों से क्षमा याचना करें। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और पितरों की कृपा बनी रहती है।
4. शनि देव की कृपा पाने के लिए करें ये काम:
पीपल वृक्ष की पूजा: पीपल को जल चढ़ाएं और उसकी सात बार परिक्रमा करें।
काले कुत्ते को भोजन: काले कुत्ते को सरसों के तेल से चुपड़ी रोटी खिलाएं। कुत्ते को कभी सताएं नहीं, यह शनि की प्रसन्नता के लिए जरूरी है।
हनुमान चालीसा का पाठ: शनि जयंती के दिन किसी हनुमान मंदिर में बैठकर कम से कम 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। मान्यता है कि हनुमान भक्तों को शनि देव कष्ट नहीं देते।
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