एक दिन एक होटल में बहुत से लोग खाना खा रहे थे।अचानक से एक बड़ा कॉकरोच आकर महिला के कपड़े पर बैठ गया।वह भयभीत होकर इधर-उधर भागने लगी।
यह देखकर बहुत से लोग बीच में ही खाना छोड़ कर उठे और बेटर के साथ उस कोकरोच को पकड़ने लगे। लेकिन वह एक जगह छोड़ता तो दूसरी जगह जा बैठता।घबराकर कई महिलाएं एक साथ चीखने लगी।इस दृश्य को वहां पर उपस्थित एक व्यक्ति बिना विचलित हुए देख रहा था।उसने कहा भाई और बहनों शांत हो जाइए डरिए नहीं, अभी सब ठीक हो जाएगा फिर वह व्यक्ति आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ा और उसने आराम से कॉकरोच को उठाया और खिड़की से बाहर फेंक दिया।सभी लोगों से हैरानी से देखते रह गए सभी लोगों को सहज होने में काफी वक्त लगा।बाद में महिलाओं ने उस व्यक्ति को घेर लिया और प्रश्नों की झड़ी लगा दी कि भाई साहब आपने यह कैसे किया।इसे पकड़ते वक्त आपको डर क्यों नहीं लगा हमारी तो जान निकली जा रही थी।वह बोला बहन जी इसमें डरने की तो कोई बात ही नहीं थी।यह बात बहुत ही सामान्य थी आप में से कोई भी यह काम कर सकता था।उस व्यक्ति ने मुस्कुराते हुए कहा कांग्रेस से डरने का कोई कारण नहीं है।डर तो आपके मन में था वह कॉक्रोज आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचा रहा था।ऐसा होता तो पकड़े जाने पर वह मुझे भी यहां नहीं पहुंचा सकता था।असल में हमारे भीतर बैठा डर हमें अधिक विचलित कर देता है।आप लोगों ने कोकरोच से डरकर प्रतिक्रिया व्यक्ति की जबकि मैंने उसका समाधान खोजा।उसकी बात सुनकर सभी लोग सोचने लगे कि किसी भी समस्या से डरने की बजाय उसका ठंडे दिमाग से समाधान खोजना चाहिए।