हिंदु पंचांग और ज्योतिषियों के मुताबिक हर वर्ष ही 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व होता है। इस दिन सूर्य का धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश होता है यानि सूर्य उत्तरायण होना प्रारम्भ हो जाता है और देवताओं की रात्रि छंट जाती है और शुभ दिनों की आरंभ हो जाती है। यही वजह है कि इस दिन किए गए पुण्य कर्म, जप-तप और दान सर्वश्रेष्ठ होता है।
ये चीजें कर सकते हैं दान आज के दिन तिल, गुड़, मंगफली, चना, दाल और चावल का विशेष महत्व है। इस दिन तिल और मूंगफली से बनी गजक, तिलकुटटी, तिलपटटी, चावल, दाल, खिचड़ी, गुड़, कंबल-रजाई, गर्म कपड़े, फल फलादि दान करने से अभीष्ट फल मिलता है।
मान्यता है कि उत्तर हिंदुस्तान में प्रातः काल स्नान आदि के बाद लोग दान की जाने वाली चीजों को एक साथ रखकर, उनपर जल के छींटे मारकर और मन में दान का रेट पैदा करते हैं और सामान को गरीबों के साथ ही अपने मानपक्ष के लोगों, बड़ों के साथ ही बेटियों-बहनों को ये सभी चीजें देकर आर्शीवाद लेते हैं। बोला जाता है कि जो व्यक्ति पूरे वर्ष दान नहीं करता वह यदि इस दिन करता है तो उसका फल भी पूरे वर्ष मिलने वाले फल से ज्यादा होता है।
इसके अतिरिक्त गांवों और शहरों में इस दिन के लिए तमाम नए रिवाज भी बनाए हुए हैं। इस दिन खासतौर पर महिलाएं श्रंगार के 14 सामान मन्सने के साथ ही अपनी सास-ननद के प्रति आभार व्यक्त करते हुए अगले वर्ष तक एकनिष्ठ होकर व्रत या संकल्प उठाती हैं और सालभर उस व्रत-संकल्प का पालन करने के साथ ही अगले वर्ष उसका दान देकर पारायण करती हैं।
ये है संक्रांति का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
वैसे तो हिन्दुओं के सभी त्यौहार न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक रूप से ही बनाए गए हैं लेकिन संक्रांति का खास महत्व है। जनवरी में पड़ने वाली ठंड के दौरान गर्म चीजों का सेवन करना चाहिए। ऐसे में इस दिन दान की जाने वाली सभी चीजें गर्म होती हैं साथ ही मौसम के अनुकूल भी होती हैं। वहीं खिचड़ी सुपाच्य होती है। चिकित्सा विज्ञान भी कहता है कि तिल और गुड़ आदि का सेवन इस मौसम से बेहतर कभी नहीं हो सकता।
इसके अतिरिक्त इस समय नदियों में वाष्पीकरण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है और नदियों का जल शुद्ध हो जाता है। लिहाजा इस दौरान किया जाने वाला स्नान स्वास्थ्यवर्धक होता है। इसलिए मकर संक्रांति पर स्नान करने की भी मान्यता है। चूंकि इस दिन से सूर्य उत्तरायण होता है और दिन के समय में वृद्धि हो जाती है जो शुभ का परिचायक है। अंधकार कम होने लगता है और प्रकाश बढ़ता है।