
घर का मध्य भाग यानी ब्रह्मस्थान, वास्तुशास्त्र के अनुसार सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र होता है। यह स्थान न केवल ऊर्जा का केंद्र माना जाता है, बल्कि घर के निवासियों की सेहत, संबंधों और आर्थिक स्थिति पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। अगर ब्रह्मस्थान में वास्तु दोष होता है, तो उसका प्रभाव पूरे घर पर नकारात्मक रूप से पड़ सकता है। आइए जानें ब्रह्मस्थान में वास्तु दोष के लक्षण, कारण और उनके सरल समाधान।
क्या है ब्रह्मस्थान?
ब्रह्मस्थान घर का बिल्कुल केंद्रीय हिस्सा होता है, जिसे वास्तु में ऊर्जा का मुख्य स्रोत माना जाता है। यह स्थान खुले, स्वच्छ और सकारात्मक ऊर्जा से युक्त होना चाहिए। यहां किसी प्रकार की बाधा, निर्माण या गंदगी ऊर्जा के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकती है।
ब्रह्मस्थान में वास्तु दोष के लक्षण:
- घर में लगातार मानसिक तनाव या कलह का माहौल बना रहना
- शारीरिक बीमारियों का बार-बार होना
- मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट
- आर्थिक तंगी और कर्ज बढ़ना
- पारिवारिक रिश्तों में कड़वाहट
- कामों में रुकावट और असफलता
ब्रह्मस्थान में वास्तु दोष होने के कारण:
- घर के मध्य भाग में भारी फर्नीचर जैसे अलमारी, सोफा, डाइनिंग टेबल रखना
- वहां जूते-चप्पल, डस्टबिन या कबाड़ रखना
- ब्रह्मस्थान पर टॉयलेट, बाथरूम या स्टोररूम का निर्माण कराना
- बीच में दीवार या पिलर बनवा देना
- इस स्थान को गंदा, अव्यवस्थित और बंद रखना
इन कारणों से घर की ऊर्जा का प्रवाह रुक जाता है और नकारात्मकता का प्रभाव बढ़ता है।
ब्रह्मस्थान का वास्तु दोष कैसे करें दूर:
- स्वच्छता: ब्रह्मस्थान को हमेशा साफ-सुथरा और खाली रखें।
- कोई भारी वस्तु न रखें: यहां कोई भी भारी सामान या अपवित्र चीजें न रखें।
- छत की ऊंचाई: ब्रह्मस्थान पर ऊंची छत वास्तु के अनुसार शुभ मानी जाती है।
- निर्माण से बचें: इस स्थान पर पिलर, दीवार या कोई निर्माण कार्य न हो।
वास्तु दोष निवारण के उपाय:
ब्रह्मस्थान पर नौ चौखानों के अनुसार पिरामिड लगवाएं।
इस स्थान पर आध्यात्मिक चित्र, जैसे सूर्य देवता या ओम का चिन्ह लगाएं।
नियमित रूप से श्रीमद्भगवद गीता, रामायण आदि धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
समय-समय पर घर में भजन, कीर्तन या सत्संग का आयोजन करें।
जरूरत पड़ने पर ब्रह्मस्थान वास्तु निवारण यंत्र स्थापित करें।
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