
गंगा सप्तमी 2025 की तिथि:
3 मई 2025 (शनिवार) को वैशाख शुक्ल सप्तमी के दिन श्रद्धा और आस्था से गंगा सप्तमी का पर्व मनाया जाएगा। यह दिन मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है।
गंगा सप्तमी का धार्मिक महत्व:
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गंगा सप्तमी के दिन गंगाजल में स्नान, व्रत, दान, और मां गंगा की पूजा से
पापों का नाश होता है
पुण्य की प्राप्ति होती है
ग्रह दोषों और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है
मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है
गंगा सप्तमी पर भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां:
गंगा में गंदगी न फैलाएं
गंगा को मोक्षदायिनी और पवित्र नदी माना जाता है।
कूड़ा-कचरा, प्लास्टिक या अन्य गंदगी गंगा में फेंकना बड़ा पाप है।
ऐसा करने से मां गंगा रुष्ट हो सकती हैं और घर-परिवार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
नकारात्मक सोच और व्यवहार से बचें
गंगा सप्तमी पर पूजा करते समय मन को शुद्ध और शांत रखें।
क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष जैसे भावों से दूर रहें।
ऐसा करने से पूजा में एकाग्रता बनी रहती है और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
काम, क्रोध और अहंकार पर नियंत्रण रखें
ये तीनों दोष पूजा-पाठ में बाधा डालते हैं।
इनसे बचना न केवल व्रत की सफलता के लिए आवश्यक है, बल्कि मानसिक शांति के लिए भी ज़रूरी है।
इन दोषों पर संयम से पुण्य फल प्राप्त होता है।
तामसिक भोजन का सेवन न करें
इस दिन मांस, मदिरा, लहसुन-प्याज जैसे तामसिक खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
इनका सेवन व्रत को भंग करता है और पूजा निष्फल हो जाती है।
गरीब, असहाय और महिलाओं को कष्ट न दें
गंगा सप्तमी पर किसी को दुःख देना या अपमानित करना
मां गंगा की कृपा से वंचित कर सकता है।
इसके विपरीत, जरूरतमंदों की सहायता करने से असीम पुण्य प्राप्त होता है।
गंगा सप्तमी पूजन और स्नान के लाभ:
गंगा स्नान:
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पापों का नाश
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ग्रह दोष और पितृ दोष से मुक्ति
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मानसिक शुद्धि और शांति
दान-पुण्य:
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अन्न, वस्त्र, तांबा, और दक्षिणा का दान करने से
➤ पूर्वज प्रसन्न होते हैं
➤ जीवन में सुख-समृद्धि आती है
पितरों को अर्घ्य:
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पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है
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कुल में बाधाएं दूर होती हैं
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