
हिमाचल प्रदेश के शिमला स्थित इंदिरा गांधी मेडिकल काॅलेज अस्पताल। -फाइल फोटो
- हमीरपुर जिले की रहने वाली थी 56 वर्षीय प्रोमिला देवी पत्नी जसवंत, पहले थी एकदम स्वस्थ
- हालत बिगड़ने पर मेडिकल कॉलेज टांडा में भर्ती कराया गया, फिर किया था शिमला IGMC में शिफ्ट
कोरोना संक्रमण से लोग उबरे नहीं थे कि इसी बीच इस खौफ का निवारण करने के लिए बनी दवा ही जानलेवा बन गई। मामला हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले से जुड़ा है, जहां कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगने के बाद एक आंगनवाड़ी वर्कर की हालत खराब हो गई थी। कई दिन अस्पताल में रहने के बाद रविवार को उसकी मौत की खबर ने सबको हिला दिया। हालांकि महिला की मौत के कारण पर अभी तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है।
बता दें कि कोरोना वैक्सीन के आने के बाद सबसे पहले फ्रंट लाइन पर काम कर रहे लोगों को इसका टीका लगाया गया था। हमीरपुर की आंगनवाड़ी वर्कर प्रोमिला भी इन्हीं में से एक थी। गांव सौड्ड डाकघर जोल लम्बरी तहसील सुजानपुर की रहने वाली 56 वर्षीय प्रोमिला देवी पत्नी जसवंत पहले एकदम स्वस्थ थी, लेकिन कोरोना वैक्सीन का इंजक्शन दिए जाने के बाद उसकी तबीयत खराब हो गई।
हालत ज्यादा खराब होने पर पहले उसे टांडा के मेडिकल कॉलेज में रेफर किया गया था। वहां स्वास्थ्य में कोई भी सुधार नहीं होने के बाद शिमला IGMC में शिफ्ट कर दिया गया था। रविवार सुबह 5 बजे आंगनवाड़ी कार्यकर्ता प्रोमिला देवी की मौत हो गई। हालांकि अभी तक प्रोमिला की मौत के कारण को लेकर आधिकारिक रूप से किसी ने कुछ भी जानकारी नहीं दी है, लेकिन सूत्रों की मानें तो उसकी मौत के पीछे यही एक वजह है और अब तक इस तरह का यह पहला मामला है। इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग से लेकर दूसरे वर्गों तक में हड़कंप मच गया है।